Home » Varanasi sevain : वाराणसी की सेवइयों की खाड़ी देशों में धूम, सालाना टर्नओवर 60 करोड़

Varanasi sevain : वाराणसी की सेवइयों की खाड़ी देशों में धूम, सालाना टर्नओवर 60 करोड़

by Mujtaba Haider Rizvi
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

वाराणसी: वाराणसी का सेवईं उद्योग लगभग 100 साल पुराना है और यहां सेवइयों की डिमांड सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि खाड़ी देशों तक है। रमजान के महीने में ईद के मौके पर सेवइयों की मांग विशेष रूप से बढ़ जाती है। वाराणसी में लगभग 60-70 कारखाने हैं, जिनमें दो हजार से ज्यादा परिवार जुड़े हुए हैं। इन उद्योगों का सालाना टर्नओवर 60 करोड़ रुपये से अधिक है।

महाकुंभ के दौरान कम हो गई थी डिमांड

वाराणसी के भदऊ चुंगी क्षेत्र में सेवईं बनाने का काम सदियों से चल रहा है। यहां की सेवइयां न केवल पूर्वांचल, बल्कि महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, दिल्ली, और खाड़ी देशों में भी प्रचलित हैं। वाराणसी सेवई गृह उद्योग व्यवसायी संघ के अध्यक्ष सच्चे लाल अग्रहरि का कहना है कि उनका परिवार 100 साल से इस उद्योग से जुड़ा है। उनका कहना है कि महाकुंभ के दौरान वाहनों की आवाजाही पर रोक के कारण थोड़ी रुकावट आई थी, लेकिन अब मार्केट में सेवई की डिमांड बढ़ी है।

महीने में दो करोड़ रुपये तक का है टर्नओवर

अच्छेलाल अग्रहरि के अनुसार, रमजान में विशेष प्रकार की सेवइयों की डिमांड होती है, जैसे जीरो, डबल जीरो, ट्रिपल जीरो, दूध फेनी, और किमामी सेवई। सेवईं बनाने में मैदा और पानी का सही मिश्रण किया जाता है, फिर मशीन के माध्यम से उसे गूंधा जाता है और सूखाने के बाद उसे भूना जाता है। भदऊ क्षेत्र में 60 से ज्यादा सेवईं उद्योग हैं, जिनका कुल टर्नओवर 60 करोड़ रुपये से ऊपर जाता है। रमजान महीने में इन उद्योगों का व्यापार 2 करोड़ रुपये से अधिक होता है।

रमजान ही नहीं, होली व दीवाली पर भी होती है सेवइयों की मांग

इस उद्योग में अधिकांश लोग साल भर काम करते हैं और ईद, बकरीद, होली, रक्षाबंधन, दीपावली, और दशहरे जैसे खास त्योहारों में सेवई की डिमांड अधिक होती है। इसके अलावा, इन उद्योगों में आम दिनों में 7-8 कारीगर काम करते हैं, लेकिन डिमांड बढ़ने पर यह संख्या 15 कारीगरों तक पहुंच जाती है। एक घंटे में एक मशीन के माध्यम से 80 किलो तक सेवईं बनाई जा सकती है।

Read also Exclusive : तो कोल्हान में प्रीपेड मीटर लगने में लग जाएंगे 22 साल

Related Articles