कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हुए छह विधानसभा उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपनी स्थिति को और मजबूत करते हुए तीन सीटों पर शानदार जीत दर्ज की है। इसके अलावा, पार्टी तीन अन्य सीटों पर बड़ी बढ़त बनाये हुए है। उपचुनावों का यह परिणाम टीएमसी के लिए एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि माना जा रहा है, खासकर जब राज्य में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण माहौल राजनीतिक रूप से बेहद गर्म था।
मदारीहाट में भाजपा से जीत, नैहाटी और सीताई पर भी टीएमसी की जीत
टीएमसी ने मदारीहाट सीट को भाजपा से छीन लिया है। इस सीट पर 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी, लेकिन इस उपचुनाव में टीएमसी के जयप्रकाश टोप्पो ने भाजपा के राहुल लोहार को 28,168 वोटों से हराया। यह सीट राज्य के चाय बागान क्षेत्र में स्थित है, और टीएमसी की इस जीत को उसकी क्षेत्रीय राजनीति में मजबूत स्थिति के रूप में देखा जा रहा है। सीताई (सुरक्षित) सीट पर टीएमसी उम्मीदवार संगीता रॉय ने 1,30,636 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के दीपक कुमार रे को 35,348 वोटों से हराया। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, और टीएमसी की जीत ने पार्टी के प्रभावी प्रदर्शन को उजागर किया। इसके अलावा, नैहाटी सीट पर टीएमसी के सनत डे ने भाजपा के रूपक मित्रा को 49,277 वोटों से हराकर जीत हासिल की।
हरोआ, मेदिनीपुर, और तालडांगरा में टीएमसी की मजबूत बढ़त
हरोआ में टीएमसी के एसके रबीउल इस्लाम 1,25,958 वोटों के साथ अपने प्रतिद्वंदी ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट के पियारुल इस्लाम को 1,03,144 वोटों से पीछे छोड़कर बढ़त बनाए हुए हैं। मेदिनीपुर में टीएमसी के सुजॉय हाजरा भाजपा के सुभाजीत रॉय (बंटी) से 22,417 वोटों से आगे चल रहे हैं। वही, तालडांगरा में टीएमसी उम्मीदवार फल्गुनी सिंघाबाबू ने भाजपा के अनन्या रॉय चक्रवर्ती से 20,273 वोटों की बढ़त बनाई हुई है।
टीएमसी का गढ़: दक्षिण बंगाल में मजबूत स्थिति
इन छह सीटों में से पांच सीटें दक्षिण बंगाल में स्थित हैं, जो परंपरागत रूप से टीएमसी का गढ़ रही हैं। मदारीहाट सीट, जो राज्य के उत्तरी हिस्से में स्थित है, पर 2021 में भाजपा ने जीत हासिल की थी, लेकिन अब टीएमसी ने इस सीट पर भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
राजनीतिक माहौल में गर्माहट
इन उपचुनावों की अहमियत इस तथ्य से भी बढ़ गई थी कि ये चुनाव उस समय हो रहे थे जब राज्य में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण राजनीतिक माहौल पहले ही गर्म था। ऐसे में टीएमसी का प्रदर्शन एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।