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विधवा को मेकअप की क्या जरूरत, हाई कोर्ट के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट ने कहा “आपत्तिजनक”

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हमारे विचार से उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को कानूनी रूप से नहीं स्वीकारा जा सकता है। इस प्रकार की टिप्पणी न्यायालय से उम्मीद की जाने वाली संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है।

by Reeta Rai Sagar
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पटना। विधवा महिलाओं को मेकअप की क्या आवश्यकता है, ये बयान पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) द्वारा दिया गया है। इस बयान को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने “अत्यधिक आपत्तिजनक” बताया है। दरअसल एक मामले में 7 आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट SC में अपील की थी। इन सातों पर संपत्ति विवाद में एक महिला का अपहरण करने और हत्या करने का मामला दर्ज है। पटना हाई कोर्ट द्वारा दिए गए इस आपत्तिजनक बयान पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस कॉमेंट पर सवाल उठाए जा सकते है। चूंकि इस मामले में दूसरे पक्ष की कहानी अस्थिर है, इसलिए सातों आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया।

क्या है मेकअप वाले स्टेटमेंट का संदर्भ
आरोपी ठहराए गए युवकों का कहना है कि जहां महिला के कत्ल की बात कही जा रही है, मृतक महिला उस घर में नहीं रहती थी। जब कि गवाहों का कहना है कि महिला उसी घर में थी। तफतीश के दौरान पुलिस ने कुछ मेकअप का सामान बरामद किया। इस दौरान यह भी पता चला कि घर के उसी हिस्से में एक और महिला भी रहती थी। मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने इसे नोटिस किया और कहा कि मेकअप का सामान मृतक महिला का नहीं हो सकता, क्योंकि वह महिला विधवा थी और विधवा को मेकअप की क्या जरूरत।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जताई आपत्ति
शीर्ष न्यायालय के जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस बयान पर कहा कि “हमारे विचार से उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को कानूनी रूप से नहीं स्वीकारा जा सकता है। इस प्रकार की टिप्पणी न्यायालय से उम्मीद की जाने वाली संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है।”

अब मामला क्या है
घटना 1985 की है और यह बिहार के मुंगेर जिले की है। महिला का उनके पिता के घर पर कब्जा करने के लिए अपहरण किया गया। बाद में उनकी हत्या कर दी गई। कोर्ट ने इस मामले में 5 लोगों को आरोपी ठहराया औऱ 2 अन्य आरोपियों को बरी करने के फैसले को भी खारिज कर दिया। इसमें आऱोपियों का कहना था कि उन पर झूठा आरोप लगाया जा रहा है। शीर्ष न्यायालय के जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि इस बात की जांच की गई थी कि क्या वास्तव में क्या पीड़ित महिला उस घर में रह रही थी, जहां से उसका अपहरण किया गया था।

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