महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में तमाम उठापटक के बावजूद विधानसभा का चुनाव संपन्न हो गया। दो दिन हो गए है चुनाव के नतीजे आए हुए, अब चुनावी दंगल के बाद प्रश्न है कि आखिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा। 288 सीटों वाली विधानसभा में महायुति ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज की।
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के महायुति गठबंधन को भारी जीत हासिल किए दो दिन हो चुके हैं, लेकिन नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह कब होगा, सरकार बनाने का दावा कौन पेश करेगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
सबके अपने-अपने दावे
बीजेपी की बात करें, तो नेता चाहते हैं कि महायुति के विशाल स्कोर में पार्टी के भारी योगदान के कारण देवेंद्र फडणवीस को सीएम की कुर्सी पर विराजमान होना चाहिए, तो वहीं उनके शिवसेना समकक्ष चाहते है कि मुख्यमंत्री पद एकनाथ शिंदे के पास रहे। इसके पक्ष में वे यह तर्क दे सकते है कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण ही महायुति सत्ता में लौटने में सफल हुई है। सूत्रों का कहना है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का झुकाव बीजेपी की ओर हो सकता है और शीर्ष पद के लिए फडणवीस का समर्थन कर सकती है।
विधायक दल की बैठक में शिंदे के नाम के नारे
महायुति द्वारा जीती गई 232 सीटों में से 132 बीजेपी के पास, 57 शिवसेना के पास और 41 एनसीपी के पास हैं। इस तरह से तीनों दलों के नेताओं ने कहा है कि वे एक साथ बैठेंगे और मुख्यमंत्री के चेहरे पर फैसला लेंगे। शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार) के विधायकों ने शिंदे और पवार को विधायक दल का नेता चुना है। शिवसेना विधायकों की हुई बैठक में भी मुख्यमंत्री पद के लिए एकनाथ शिंदे की मांग को लेकर नारे लगाए गए।
खबर है कि सोमवार को फडणवीस, शिंदे और पवार दिल्ली रवाना होंगे, जहां उनकी मुलाकात केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से होगी और बैठक में ही मुख्यमंत्री पद पर भी चर्चा हो सकती है।
देवेंद्र फडणवीस क्यों बन सकते है मुख्यमंत्री
फड़नवीस राज्य में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके है, इसलिए सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम करने वाले फड़नवीस पार्टी की शानदार स्ट्राइक रेट के प्रमुख शिल्पकारों में से एक हैं। पार्टी ने 148 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 132 सीटों पर जीत मिली। खबरों की मानें तो फड़नवीस सरकार में नंबर 2 की भूमिका निभाने को भी तैयार थे, लेकिन अनिच्छा से।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह ने शिवसेना को विभाजित कर दिया और सत्तारूढ़ गठबंधन में बीजेपी की अधिक संख्या होने के बावजूद उद्धव ठाकरे सरकार को गिरा दिया। इसलिए बीजेपी नेताओं का मानना है कि उन्हें अब उनका हक मिलना चाहिए। हालांकि बीजेपी नेता शीर्ष पद के लिए किसी भी रोटेशनल फॉर्मूले के खिलाफ हैं और फडणवीस को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में चाहते हैं।
एकनाथ शिंदे क्या चाहते है
अब सवाल यह है कि क्या एकनाथ शिंदे राजी होंगे। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, शिंदे मुख्यमंत्री पद छोड़ने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि शिवसेना के नेताओं का मानना है कि लाडकी बाहिन समेत उनकी सरकार की नीतियों ने ही महायुति की जीत का मार्ग प्रशस्त किया। शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने मीडिया से कहा कि शिवसेना विधायकों को लगता है कि शिंदे को पद पर बने रहना चाहिए, क्योंकि उनके नेतृत्व में महायुति ने बहुत अच्छा काम किया और चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि शिंदे, फडणवीस और पवार इस मुद्दे पर सर्वसम्मति से फैसला करेंगे और यह महाराष्ट्र के हित में होगा।
हमले से बचना भी शिंदे के लिए जरूरी
दूसरी ओर, एक कथानक यह भी है कि यदि शिंदे मुख्यमंत्री का पद छोड़ते हैं, तो शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के तीखे हमले का भी सामना करना पड़ सकता है। ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि शिंदे को फडणवीस के अधीन काम करना होगा। इसलिए, शिंदे चाहेंगे कि वे धारणा की लड़ाई जीतने के लिए सीएम पद पर बने रहें।
आइए समझते है अंकों का गणित क्या कहता है
भारी जीत हासिल करने के बावजूद, बीजेपी 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से 14 दूर है। लेकिन उसके 132 विधायकों की संख्या ने सुनिश्चित कर दिया है कि उसे सरकार बनाने के लिए केवल अपने एक सहयोगी की जरूरत है। इस एक पत्ते के दाव से एकनाथ शिंदे के पास शीर्ष पद के लिए कुछ सौदेबाजी बचती है, लेकिन बीजेपी एनसीपी के समर्थन से भी आसानी से सरकार बना सकती है। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, शिवसेना और एनसीपी दोनों कैबिनेट पदों का अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में अब बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसको बिठाएं, पर मंथन कर रहा है।