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क्या देश में एक साथ होंगे चुनाव, केंद्र ने बनाई कमेटी, जानें विपक्ष ने क्या कहा

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: एक देश, एक चुनाव की दिशा में सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है । केंद्र सरकार ने इसकी संभावनाओं को पर विचार के लिए एक कमेटी का गठन देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में किया है । कमेटी के सदस्यों पर सरकार आज ही नोटिफिकेशन जारी करेगी। वहीं विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने सवाल किया है कि अभी इसकी क्या जरूरत है? पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों का निवारण होना चाहिए।

 

सरकार के लिए भी आसान नहीं है फैसला: 

 

सरकार ने एक देश, एक चुनाव की संभावनाओं पर विचार के लिए कमेटी का गठन कर दिया है। हालांकि सरकार के लिए भी इस फैसले को लागू करना और इस संबंध में कानून बनाना आसान नहीं होगा। दरअसल एक साथ चुनाव कराने के लिए कई विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती करनी पड़ेगी। जिसका विरोध होना तय है। अगर सरकार जबरदस्ती करती है तो यह मामला कोर्ट में भी जाएगा। ऐसे में इसे आसानी से लागू करापाना केंद्र सरकार के लिए मुश्किल है। लेकिन मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव को लेकर अपने इराधे स्पष्ट कर दिए हैं।

 

केंद्र सरकार क्या चाहती है एक साथ चुनाव कराना: 

एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार का तर्क है कि बार बार चुनाव कराने पर अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। वहीं बार-बार प्रशासनिक स्थिरता, सुरक्षा बलों की तैनाती में भी परेशानी होती साथ ही राजनीतिक दलों को भी चुनाव पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। इन सभी वजहों को देखते हुए एक देश, एक चुनाव की योजना पर विचार किया जा रहा है।

 

पहले हो चुका है ऐसा: 

एक देश एक चुनाव के तहत केंद सरकार लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना चाहती है। साल 1951-52 में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में भी लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए, लेकिन बाद में 1968, 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने और 1970 में लोकसभा को समय से पहले भंग होने से यह साथ चुनाव कराने का चक्र बाधित हो गया।

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अभी हर साल होते हैं चुनाव: 

देश में चुनाव की स्थिति यह हो गयी है कि हर साल कहीं ना कहीं चुनाव हो रहे होते हैं। इसकी वजह से चुनाव आचार संहित लगने से विकास कार्य भी प्रभावित होता है। ऐसे में सरकार फिर से लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। अब इस दिशा में कमेटी का गठन एक बड़ा कदम माना जा है।

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