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महिला आरक्षण बिल पर राष्ट्रपति की मुहर, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण बना कानून

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क : महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) अब कानून बन गया है। हालांकि इसे लागू किये जाने में अभी तीन पड़ाव बाकी बचे हैं। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने शुक्रवार (29 सितंबर) को बिल की मंजूरी दे दी। यह विधेयक 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा में पारित हुआ था। किसी भी विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है ताकि वो कानून बन सके।

दोनों सदनों में महिला सदस्यों ने प्रधानमंत्री का जताया आभार

संसद में विधेयक के पारित होने के बाद पीटी उषा, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और स्मृति ईरानी समेत संसद के दोनों सदनों की महिला सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुलदस्ता भेंट करके धन्यवाद कहा। प्रधानमंत्री ने भी इसे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण बताते हुए 140 करोड़ भारतीयों को बधाई दी थी। हालांकि दोनों सदनों में बहुमत से पारित यह विधेयक तब एक अधिनियम (कानून) की भूमिका में नहीं आ सकता था। शुक्रवार को यह बाधा भी दूर हो गई।

अब क्या बदलेगा लोकसभा में?

उधर, बड़ी बात यह है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के अस्तित्व में आ जाने के बाद देश की संसद के निचले सदन में और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं या विधानपरिषदों में क्या बदलाव देखने को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा में इस वक्त कुल 543 में से केवल 82 महिला सदस्य ही हैं, वही अब नए प्रावधान के बाद यह संख्या बढ़कर 181 हो जाएगी।

संसद के विशेष सत्र में मिली थी मंजूरी

सरकार ने हाल में 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया था। इस दौरान दो ऐतिहासिक काम हुए। एक पुराने संसद भवन से कामकाज संसद की नई इमारत में शिफ्ट किया गया और दूसरा दोनों सदनों से महिला आरक्षण बिल पास हुआ।

बिल के पक्ष में 454 मत और विरोध में दो वोट पड़े

सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक के नाम से महिला आरक्षण बिल को 19 सितंबर 2023 को लोकसभा में पेश किया था। सदन में दो दिन तक इस पर चर्चा चली। ज्यादातर दलों ने इस बिल का समर्थन किया। 20 सितंबर को लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 मत और दो वोट विरोध में पड़े।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम के कानून बनने के बाद भारत की संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है। यह अधिनियम महिलाओं के लिए राजनीति में अधिक प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
इससे पहले महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में पीएम मोदी ने सभी सांसदों का शुक्रिया किया। उन्होने कहा कि बिल पर सार्थक चर्चा हुई है। नारी शक्ति को विशेष सम्मान सिर्फ विधेयक से नहीं मिल रहा है। इस विधेयक के प्रति सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक सोच होना, ये हमारे देश की नारी शक्ति को नई ऊर्जा देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, इस बिल से देश के लोगों में एक नया विश्वास पैदा होगा। सभी सदस्यों और राजनीतिक दलों ने महिलाओं को सशक्त बनाने और ‘नारी शक्ति’ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आइए देश को एक मजबूत संदेश दें। आपको बता दें कि लोकसभा में ये बिल पास हो चुका है।

कब तक लागू होगा महिला आरक्षण का कानून?

कई विपक्षी दलों ने बिल का समर्थन तो किया है लेकिन इसे लागू करने के लिए निर्धारित किए गए प्रावधानों को लेकर सरकार की आलोचना की है। दरअसल, बिल के प्रावधान कहते हैं कि है कि इसे जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद लागू किया जाएगा। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद जनगणना होगी और उसके बाद परिसीमन होगा।

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जानकारों की मानें तो यह 2029 के लोकसभा चुनाव के आसपास अमल में आ सकेगा, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है, साथ ही यह भी कहा है कि इसमें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और मुस्लिम महिलाओं को भी शामिल करना चाहिए।

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