हेल्थ डेस्क। आपने ये तो सुना होगा की हर ऑपरेशन से पहले मरीज को बेहोश किया जाता है, जिसके लिए Anesthesia की जरूरत पड़ती है, ताकि वो कोई भी दर्द महसूस न कर पाए। एनेस्थीसिया किसी भी तरह की सर्जरी के पहले इस्तेमाल किया जाता है। हर साल 16 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे’ मनाया जाता है, इसे मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके महत्व के प्रति जागरूक करना है।
Anesthesia है क्या?
एनेस्थीसिया और कुछ नहीं बल्कि ether है जो गैस या भाप के रूप में होता है और इंजेक्शन के माध्यम से मरीज के शरीर में डाला जाता है या कई बार इसे मरीज को मुंह या नाक के माध्यम से भी जाता है। एनेस्थीसिया से रोगी गहरी नींद में चला जाता है। इससे शरीर की नसे सुन्न हो जाती हैं और किसी चीज का अहसास नहीं होता है। एनेस्थीसिया में एनेस्थेटिक्स नाम के दवाओं का उपयोग किया जाता है। एनेस्थीसिया दो तरह से दिया जाता है लोकल व जनरल एनेस्थीसिया। एनेस्थीसिया देते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि सर्जरी में कितना समय लगेंगा और सर्जरी किस तरह की है।
पहली बार कब हुआ था इसका इस्तेमाल
दुनिया में पहली बार एनेस्थीसिया देने वाले अमेरिका के डॉक्टर क्रॉफॉर्ड लॉन्ग थे। जिन्होंने साल 1842 में 30 मार्च को पहली बार एनेस्थीसिया दिया गया था, लेकिन एनेस्थीसिया की पहली कोशिश ज्यादा प्रभावी नहीं रही थी। जब ये प्रभावी हुआ तो कहा गया कि अब सर्जरी बिना दर्द के पूरी की जा सकती है।
भारत मे पहली बार कब हुआ था इसका इस्तेमाल?
भारत में पहली बार एनेस्थीसिया का इस्तेमाल सबसे पहले डॉ. एमएम देसाई और डॉ. बीएन सरकार ने किया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश मे 1940 के दशक की शुरुआत में जीएस मेडिकल कॉलेज में थायोपेनटोन की शुरुआत की थी जो की एक जेनरल एनेस्थीसिया है।
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