RANCHI: शुक्रवार को विश्व स्तनपान दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम की शुरुआत रांची के नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान (आईपीएच) के सभागार में की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ एनएचएम झारखंड के मिशन डायरेक्टर शशि प्रकाश झा ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम और पूर्ण आहार है। यह ईश्वरीय वरदान है, जिसमें वह सभी पोषक तत्व मौजूद हैं जो शिशु के पूर्ण विकास के लिए जरूरी होते हैं। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ता जब भी समुदाय में जाएं, तो स्तनपान के लाभ की जानकारी जरूर दें।
महिलाओं को बताएं स्तनपान के फायदे
स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख डॉ सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान ही महिलाओं को स्तनपान के फायदे बताए जाएं। उन्होंने माताओं को सर्दी-जुकाम जैसे सामान्य लक्षणों के कारण स्तनपान न रोकने की सलाह दी और कहा कि इससे स्तन कैंसर की संभावना भी कम होती है। रांची सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ आरके जायसवाल ने स्पष्ट किया कि शिशु के जन्म से 6 माह तक केवल मां का दूध ही देना चाहिए। इस दौरान पानी, घुट्टी या शहद जैसी वस्तुएं देना गलत परंपरा है, जिसका विरोध होना चाहिए।
मां का दूध शिशु का अधिकार
मातृत्व कोषांग की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. पुष्पा ने मां के दूध को शिशु का अधिकार बताया। साथ ही कहा कि डब्बा बंद दूध बीमारियों का कारण बन सकता है। उन्होंने मां को स्तनपान के लिए अनुकूल वातावरण देने की सामाजिक जिम्मेदारी पर बल दिया। शिशु स्वास्थ्य कोषांग के पदाधिकारी डॉ एलआर पाठक ने बताया कि झारखंड में 6 माह तक स्तनपान कराने की परंपरा में 33% की बढ़ोतरी हुई है, परंतु जन्म के एक घंटे के भीतर गाढ़ा पीला दूध पिलाने की दर घटकर 21% हो गई है जो चिंताजनक है। इस वर्ष स्तनपान सप्ताह का थीम स्तनपान में निवेश स्वस्थ राष्ट्र का संदेश है। कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक, स्वास्थ्य सहिया बहनों के अनुभव और आईईसी पदाधिकारी डॉ लाल माझी सहित अनेक विशेषज्ञों ने जागरूकता बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।