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RSS का विजय दशमी उत्सव, पथ संचालन में 1200 स्वयंसेवक हुए शामिल

by Rakesh Pandey
पथ संचालन में 300 स्वयंसेवक हुए शामिल
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जमशेदपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS), जमशेदपुर महानगर के द्वारा संघ का विजय दशमी उत्सव को मनाया गया। इस वर्ष इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में हृदय राेग विशेषज्ञ डाॅ नागेंद्र कुमार दास और मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य वी भगैय्या जी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में जमशेदपुर महानगर के स्वयंसेवकों के द्वारा लगभग 3 किलोमीटर का पथ संचलन किया गया, जिसमे 11 वाहिनियों और एक घोष वाहिनी ने हिस्सा लिया। स्वयंसेवकों की संख्या लगभग 600 की थी।

पथ संचालन में 300 स्वयंसेवक हुए शामिल

पथ संचालन में 300 स्वयंसेवक हुए शामिल

मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में संघ के स्थापना के कारणों पर प्रकाश डालते हुए विवेकानंद के जीवन की घटनाओं का जिक्र किया। और समाज में संघ के आवश्यकता की महत्ता को बताया। मुख्य वक्ता ने अपने संबोधन में नवरात्रि के समय को असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म और राक्षसी प्रवृत्तियों पर देवी गुणों के विजय के रूप में बताया। अलग अलग देवता राक्षसी प्रवृति पर विजय नहीं पा सके अतः सभी देवताओं की सामूहिक शक्ति के रूप में दुर्गा माता का प्रदुर्भाव हुआ, जिसने राक्षसी शक्तियों का नाश किया। उन्होंने कहा कि अत्याचारी किसी जाति, पंथ, धर्म का नहीं होता है, और अत्याचारी का समूल नाश करना ही सर्वोत्तम है।

 

राज्यों के द्वारा जातिगत गणना को भी सनातनी समाज को तोड़ने का कुत्सित प्रयास बताया गया, और इसे संविधान की भावना के विपरीत बताया है। यह हिंदू समाज के लिए घातक सिद्ध होने वाला है। हिंदू समाज जब तक संगठित था, तब तक अपना देश वैभव पूर्ण था, जैसे ही समाज में विखंडन हुआ अनेक समस्याओं ने देश में घर कर लिया। इस दाैरान विधायक सरयू राय समेत शहर के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

सभी सदस्याें काे कम से कम एक घंटे संघ की शाखा में आना चाहिए:

वी भगैय्या ने कहा कि शक्ति उपासना का केंद्र संघ की शाखा है। इसलिए नियमित एक घंटे संघ की शाखा पर आना चाहिए। जिन बस्तियों और मंडलों में शाखा नहीं है, वहां साप्ताहिक मिलन केंद्र स्वयंसेवकों को प्रारंभ करना चाहिए, जिसमें समाज के लोगों को बुलाना चाहिए। उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ-साथ समाज के लोगों से पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधा लगाने के साथ उसका संरक्षण करने, अपने-अपने घरों से पानी बचाने की शुरुआत करने और पालीथीन का उपयोग नहीं करने का आह्वान किया। आज विश्व में मानवता की रक्षा के लिए भारत के ऊपर बड़ा दायित्व है। देश की स्वाधीनता के साथ-साथ सामूहिक शक्ति का एक उदाहरण 1975 का आपातकाल था, जिसमें लोकतंत्र की जीत हुई और तानाशाह हार गया।

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