रांची: झारखंड में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुए 40 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन प्रदेश के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 35 लाख छात्रों को अब तक पाठ्य पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। 1 अप्रैल से सत्र की शुरुआत हो चुकी है, बावजूद इसके न तो जिलों को किताबें भेजी गई हैं और न ही वितरण की कोई ठोस योजना सामने आई है। इस स्थिति को लेकर ‘अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ’ ने गहरी नाराजगी जताई है।
शिक्षा विभाग की चूक
संघ के पदाधिकारी नसीम अहमद ने सवाल उठाया है कि हर साल पुस्तक वितरण की आवश्यकता पहले से तय होती है, फिर भी शिक्षा विभाग समय रहते तैयारियों में क्यों चूक जाता है? उन्होंने कहा कि यह लापरवाही विशेष रूप से गरीब छात्रों के साथ अन्याय है, जिनके पास पुराने पाठ्यसामग्री के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। शिक्षा परियोजना परिषद के अनुसार, कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए करीब 35 लाख किताबों की जरूरत है, लेकिन अब तक उनकी छपाई और आपूर्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। संघ का मानना है कि ग्रीष्मावकाश से पहले किताबें मिलना मुश्किल है, और अगर पूरा प्रयास भी किया जाए, तो भी 15 जून से पहले वितरण संभव नहीं होगा।
पढ़ाई पर मिलेगा शिक्षकों को वेतन
वहीं, शिक्षा विभाग ने हाल ही में शिक्षकों के वेतन को पाठ्यक्रम से जोड़ दिया है। लेकिन जब छात्रों के पास किताबें ही नहीं हैं, तो समय पर पाठ्यक्रम कैसे पूरा होगा? यह स्थिति शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। वहीं छात्रों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा रही है।

