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ओमान की मोबाइल टॉवर कंपनी में बंधुआ बने झारखंड के 6 मजदूर, सोशल मीडिया पर कर रहे गुहार, वतन बुलाए सरकार

by Rakesh Pandey
ओमान की मोबाइल टॉवर कंपनी में बंधुआ बने झारखंड के 6 मजदूर
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ललपनिया : यह कोई नई बात नहीं है कि मजदूरों को जो सब्जबाग दिखाकर विदेश ले जाया जाता है वैसा वास्तव में होता नहीं है। अक्सर मजदूरों को ठगे जाने का अहसास तब होता है जब वे सबकुछ लुटाकर दूसरे देशों में पहुंचते हैं या वहां काम करने लगते हैं। ठगी व फर्जीवाड़ा करने में दलालों की भूमिका सबसे बड़ी होती है। नए मामले में झारखंड के आधा दर्जन मजदूर ओमान की राजधानी मस्कट में फंसे हुए हैं।

सोशल मीडिया पर गुहार लगाते नजर आए झारखंड के मजदूर
झारखंड के 6 मजदूर ओमान में फंसे हुए हैं। कंपनी की मनमानी की वजह से इन्हें खाने-पीने तक की समस्या है और सभी मजदूर दाने-दाने के लिए मोहताज हैं। मस्कट से ही सोशल मीडिया के माध्यम से इन मजदूरों ने वीडियो संदेश भेजकर केंद्र और राज्य सरकारों से स्वदेश वापसी के लिए गुहार लगाई है।

झारखंड के अलग-अलग जिलों के हैं मस्कट में फंसे मजदूर
ओमान की राजधानी मस्कट में फंसे ये सभी मजदूर हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिले के रहनेवाले हैं। ये सभी मजदूर पिछले 22 दिसंबर 2023 को मोबाइल टॉवर खड़ी करनेवाली ओमान की कंपनी में काम करने के लिए मस्कट गये थे। वहां जाकर ये काम भी करने लगे। शुरुआती दो महीने अच्छे भी रहे। दो महीने वेतन मिलने के बाद पिछले पांच महीने से इन मजदूरों को वेतन नहीं मिला है। इस कारण सभी मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गये हैं।

कंपनी ने जब्त कर लिया है पासपोर्ट
इधर मस्कट में फंसे मजदूरों के परिजन परेशान हैं। वहां कंपनी ने मजदूरो के पासपोर्ट भी जब्त कर अपने पास रख लिए हैं। फंसे मजदूरों के नाम : वहां फंसे मजदूरों मे बोकारो जिले के पेंकनारायणपुर थाना के पोखरिया के युगल महतो, हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ थाना क्षेत्र अंतर्गत नेरकी के संजय महतो, उच्चाघाना के महादेव महतो, अम्बाडीह के दिनेश महतो, अर्जुन महतो, गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र अंतर्गत महुरी को किशोर महतो हैं।

केंद्र व राज्य सरकार से मदद की अपील
मजदूरों के लिए आवाज उठाने वाले सिकन्दर अली ने केंद्र व राज्य सरकार से इन फंसे मजदूरों को मदद करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की यह पहली घटना नहीं है। काम की तलाश में मजदूर विदेश जाते हैं। वहां उनको यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। बड़ी मुश्किल से उनकी वापसी हो पाती है। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं। ऐसे में सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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