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हिमंत सरकार ने मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म करने का लिया फैसला

by Rakesh Pandey
Himanta Biswa Sarma
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सेंट्रल डेस्क: Himanta Biswa Sarma: असम सरकार के इस फैसले को यूनिफॉर्म सिविल कोड की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। दरअसल, देर रात शुक्रवार को असम सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में असम में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया। वहीं, राज्य मंत्री जयंत मल्लबारुआ ने इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड की दिशा में एक बड़ा कदम मानते हुए कहा कि इससे राज्य में होने वाले बाल विवाह को रोका जा सकेगा।

सरकार ने लिए कई बड़े फैसले

मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म करने के निर्णय के साथ ही बैठक में असम सरकार ने कई बड़े निर्णय लिए हैं। दरअसल इस दौरान सरकार ने बैठक में 4 जिलों में मणिपुरी को सहयोगी राजभाषा के रूप में शामिल किया है। वहीं साथ ही एनईपी 2020 के अनुसार शिक्षा के माध्यम के रूप में 6 आदिवासी भाषाओं- मिसिंग, राभा, कार्बी, तिवा, देवरी और दिमासा को शामिल किया गया है।

फैसले पर यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जताई आपत्ति

वहीं इस निर्णय को लेकर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी के चीफ मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने हिमंत सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जाहिर की है। दरअसल इसको लेकर उनका कहना है कि बहुविवाह सिर्फ मुस्लिमों में नहीं है, बल्कि दूसरे समुदाय में भी है। इसीलिए सिर्फ मुस्लिमों को टारगेट करना सही नहीं है।

बाल विवाह के खिलाफ नया कानून लाने पर विचार

इससे पहले फरवरी 2023 में असम के मुख्यमंत्री Himanta Biswa Sarma ने इसको लेकर एक बयान जारी किया था और कहा था कि असम सरकार का रुख स्पष्ट है, राज्य में बाल विवाह रुकने चाहिए। बाल विवाह के खिलाफ सरकार नया कानून लाने के बारे में विचार कर रही हैं। जिसके चलते हम 2026 तक बाल विवाह के खिलाफ नया कानून ला सकते हैं।

Himanta Biswa Sarma ने कहा- यह एक महत्वपूर्ण निर्णय

वहीं इस निर्णय को लेकर अब मुख्यमंत्री सरमा ने ‘x’ पर किए गए पोस्ट में लिखा की 23 फरवरी 2024 को, असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों, जैसा कि कानून द्वारा आवश्यक है। यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

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