स्पेशल डेस्क। Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व होता है। चैत्र और आश्विन माह में नवरात्रि पर नौ दिन शक्ति का रूप माता आदिशक्ति की आराधना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन भक्त व्रत रखकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं। वही चैत्र नवरात्र नया काम शुरू करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्र के समय विधि-विधान से व्रत रखकर माता दुर्गा के नव रूपों की आराधना की जाती है।
Chaitra Navratri- कब से शुरू हो रहे है?
इस वर्ष प्रतिपदा की तिथि 8 अप्रैल की रात शुरू होने वाली हैं इसीलिए 9 अप्रैल से नवरात्रि शुरू होगी और 17 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी ।
इस दिन सुबह 6 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 23 मिनट तक सामान्य मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है। दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।
Chaitra Navratri- मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है
चैत्र नवरात्रि भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है लेकिन इसके कुछ रीति-रिवाज और परंपराएं समान हैं। नवरात्रि के दौरान लोग बड़े उत्साह और भक्ति के साथ दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। साथ ही इस दौरान समृद्धि खुशी और अच्छे स्वास्थ्य के लिए देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत और प्रार्थना करते हैं।
नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा के उन रूपों की पूजा करने के लिए समर्पित हैं जो एक उग्र और शक्तिशाली हैं जो बुराई से लड़ती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। अगले तीन दिन धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं जो अपने भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक धन का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। आखिर के तीन दिन ज्ञान शिक्षा और कला की देवी देवी सरस्वती को समर्पित हैं जो अपने भक्तों को ज्ञान और रचनात्मकता का आशीर्वाद देती हैं।
Chaitra Navratri- ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में मनाई जाती है
चैत्र नवरात्रि एक साल में मनाई जाने वाली हिंदुओं की चार नवरात्रि में से एक है। यह नवरात्रि चैत्र के शुभ महीने में आती है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल आती है। चैत्र नवरात्रि भगवान विष्णु के अवतार राम नवमी के साथ समाप्त होती है।
Chaitra Navratri- इस बार घोड़े पर सवार हो कर आएंगी मां दुर्गा
इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत मंगलवार को हो रही है। इस बार माता घोड़े पर सवार हो कर पधारेंगी। माता का वाहन घोड़ा प्राकृतिक आपदाओं का प्रतीक होता हैं। ऐसे में इसका अर्थ है कि भविष्य के संकटों के प्रति वर्तमान से ही सचेत हो जाएं।
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