कोलकाता : Case Filed Raj Bhavan Against Mamata Banerjee : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज कराया था। सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के केस पर बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। वहीं आनंद बोस ने सीएम ममता के खिलाफ यह मुकदमा कथित तौर पर उनके खिलाफ की गई कुछ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए कराया है।
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मंगलवार को सिलीगुड़ी में कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि जो कोई भी मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाएगा, उसे परिणाम भुगतने होंगे। वह मेरी संवैधानिक सहयोगी हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं। लेकिन मेरे आत्मसम्मान पर सवाल उठाया गया है, इसलिए मैंने मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
हालांकि उन्होंने अपनी पूरी बातचीत में एक बार भी मुख्यमंत्री या ममता बनर्जी शब्द नहीं बोला। इस बीच, कलकत्ता हाई कोर्ट के अंदरूनी सूत्रों ने भी मानहानि का मुकदमा दायर किए जाने की पुष्टि की है। जस्टिस कृष्ण राव की खंडपीठ में बुधवार को इस मामले की सुनवाई होने की उम्मीद है।
Case Filed Raj Bhavan Against Mamata Banerjee : 28 जून को दर्ज कराया था मामला
राज्यपाल आनंद बोस ने 28 जून को ममता बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। एक दिन पहले ही ममता बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि राजभवन में होने वाली गतिविधियों के कारण उन्हें वहां जाने में डर लगता है।
Case Filed Raj Bhavan Against Mamata Banerjee : आरोपों के बाद क्या बोले थे राज्यपाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी व अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद राज्यपाल ने कहा था कि जन प्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे गलत और बदनामीपूर्ण धारणा न बनाएं। वहीं राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान 27 जून को ममता बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उन्हें बताया है कि वे राजभवन में हाल ही में हुई घटनाओं के कारण वहां जाने से डर रही हैं। इसके बाद से ही राज्यपाल ने सीएम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही थी।
Case Filed Raj Bhavan Against Mamata Banerjee : राज्यपाल के खिलाफ लगा था छेड़छाड़ का आरोप
वहीं बता दें कि 2 मई को राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी। संविधान के अनुच्छेद-361 के तहत, किसी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
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