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नीड बेस्ड शिक्षकाें की नियुक्ति मामले में तत्कालीन वीसी, रजिस्ट्रार, डीन व एचओडी के भूमिका की हाेगी जांच, राजभवन ने विवि काे दिया निर्देश

by Rakesh Pandey
Kolhan University
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जमशेदपुर: Fraudulently Appointment Need Based Teachers: काेल्हान विश्वविद्यालय में फर्जी ढंग से नियुक्ति हुए नीड बेस्ट शिक्षकाें के मामले में राजभवन ने संज्ञान लिया है। विश्वविद्यालय काे जारी निर्देश में राजभवन ने नियुक्ति में हुई गड़बड़ी के लिए तत्कालीन वीसी, रजिस्ट्रार, एचओडी व डीन की जिम्मेदारी भी तय करने का निर्देश विश्वविद्यालय काे दिया है। ताकि इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सके। क्याेंकि नियुक्ति इन्हीं की
देखरेख में हुई थी। राजभवन का कहना है कि इसके लिए जितने दाेषी शिक्षक हैं, उतने ही उस समय के अधिकारी, जिन्हाेंने यह जानने की काेशिश तक नहीं की कि नियुक्ति सही ढंग से हाे रही है या नहीं। जबकि इनकी यह जिम्मेदारी थी। ऐसे में अब देखना हाेगा कि विश्वविद्यालय अपने ही पूर्व अधिकारियाें की भूमिका काे जांच के लिए क्या कदम उठाता है और इस मामले में किस किस की गर्दन फंसती है।

Fraudulently Appointment Need Based Teachers: शिक्षकाें काे थाेड़ी राहत भी मिली

जांच में दाेषी पाए गए 37 नीड बेस्ड शिक्षकाें काे थाेड़ी राहत भी राजभवन से मिली है। इसके तहत राजभवन ने विवि काे कहा है कि इन शिक्षकाें ने जब तक काॅलेजाें में सेवा दी है,उस अवधि तक का वेतन भुगतान अन्य शिक्षकाें के साथ इनका भी किया जाए। मालूम हाे कि नियुक्ति प्रक्रिया के जांच की वजह से इन शिक्षकाें काे पांच माह से वेतन नहीं मिला है। जिसकी मांग यह लगातार कर रहे हैं।

Fraudulently Appointment Need Based Teachers: शाेकाॅज के जवाब मिलने के बाद सेवामुक्त करने पर फैसला

काेल्हान विश्वविद्यालय की जांच में जिन 37 नीड बेस्ड शिक्षकाें काे दाेषी पाया गया है, उन्हें विवि ने शाेकाॅज नाेटिस जारी करते हुए 9 जुलाई तक स्पष्टीकरण मांगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इन शिक्षकाें के स्पष्टीकरण मिलने के बाद हम उसे देखेंगे, जिनका जवाब असंताेषप्रद हाेगा, उन्हें सेवामुक्त कर दिया जाएगा जबकि शेष की सेवा कंटीन्यू कर दी जाएगी।

Fraudulently Appointment Need Based Teachers: जानिए क्या है मामला

इसी साल काेल्हान विश्वविद्यालय ने अपने अलग- अलग अंगीभूत काॅलेजाें में कार्यरत करीब 160 घंटी आधारित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन व नियुक्ति प्रक्रिया की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनायी थी। इस कमेटी ने अपनी जांच में पाया कि करीब 37 शिक्षकाें की नियुक्ति नियमविरुद्ध की गयी। कई अभ्यर्थी ऐसे थे, जाे दूसरे राज्याें के ओबीसी हैं और यहां भी खुद काे ओबीसी कैटेगरी बताकर नियुक्त हाे गए। जबकि नियुक्ति के लिए जाे नियमावली है, उसके तहत दूसरे राज्याें का ऐसा काेई भी अभ्यर्थी किसी दूसरे राज्य में आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है। भले ही वह व्यक्ति अपने राज्य में एससी/एसटी या ओबीसी वर्ग का क्याे न हाें। इसके साथ ही कई के पास नियुक्ति के समय आवश्यक सर्टिफिकेट भी नहीं थे।

वर्जन:  फर्जी ढंग से नियुक्त हुए नीड बेस्ड शिक्षकाें के मामले में राजभवन ने तत्कालीन अधिकारियाें की भूमिका तय करने का निर्देश दिया है।निर्देश के आलाेक में जांच काे आगे बढ़ाया जाएगा और रिपाेर्ट राजभवन काे साैंपी जाएगी।
– डाॅ राजेंद्र भारती रजिस्ट्रार केयू

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