नई दिल्ली : आज CJI डीवाई चंद्रचूड़ का सुप्रीम कोर्ट में अपना ‘लास्ट वर्किंग डे’ था। हालांकि, उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 को समाप्त होगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों के कारण उनका अंतिम कार्य दिवस आज ही तय किया गया था। 9 और 10 नवंबर को कोर्ट बंद रहने के कारण आज उनका अंतिम कार्यदिवस रहा, जिसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले CJI के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर ऐतिहासिक फैसला
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया। उनकी अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा। यह फैसला 4-3 के बहुमत से लिया गया, और यह कई वर्षों से लंबित इस मामले का निपटारा किया गया। इस फैसले ने न केवल AMU, बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता खोला।
भावुक विदाई और सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर
CJI चंद्रचूड़ का आज का दिन उनके लिए काफी भावुक और यादगार रहा। सुप्रीम कोर्ट में उन्हें औपचारिक विदाई दी गई, और इस अवसर पर कई वकीलों, विशेष रूप से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल, ने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के माध्यम से CJI को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें CJI चंद्रचूड़ हाथ जोड़ते हुए और गर्दन झुकाए हुए नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर उनके संकोच, सम्मान और न्यायपालिका में उनके योगदान के प्रति भावुक श्रद्धा को प्रदर्शित करती है।
इस दौरान, CJI ने कोर्ट में अपने आखिरी भाषण में कहा, “अगर कभी किसी को ठेस पहुंचाई हो तो माफी मांगता हूं।” उनका यह बयान उनके आत्मीय स्वभाव और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनके इस भावुक पल में कई वकीलों ने उनके साथ हल्के-फुल्के लम्हे भी बिताए, और जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस अवसर को गर्मजोशी से स्वीकार किया।
CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल के ऐतिहासिक फैसले
CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल लगभग दो साल का रहा, और इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले दिए, जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में सदियों तक याद किए जाएंगे। इनमें सबसे प्रमुख फैसले निम्नलिखित हैं:
अयोध्या राम मंदिर विवाद: CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें बाबरी मस्जिद की भूमि पर राम मंदिर निर्माण को मंजूरी दी गई। इस फैसले ने भारतीय समाज में एक नया अध्याय जोड़ा।
इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला: CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड को खारिज कर दिया, जो चुनावी चंदा देने के एक नए तरीके के रूप में सामने आया था। इस फैसले ने चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।
समलैंगिक विवाह पर फैसला: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर CJI चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाया कि इस मुद्दे पर संसद को निर्णय लेना चाहिए। यह एक संवेदनशील और जटिल मामला था, जिसे न्यायपालिका ने संसद के जिम्मे छोड़ दिया।
अनुच्छेद 370 का निरसन: जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के निर्णय को संवैधानिक रूप से सही ठहराते हुए, CJI चंद्रचूड़ ने इस फैसले को भारतीय संविधान की समग्रता के दृष्टिकोण से स्पष्ट किया।
दिल्ली सरकार के अधिकारों पर फैसला: दिल्ली सरकार के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर विवाद का समाधान किया गया।
इन फैसलों ने न केवल भारतीय न्यायपालिका की ताकत को मजबूत किया, बल्कि देश की राजनीति, समाज और संविधान के लिए भी महत्वपूर्ण दिशा तय की।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए एक स्वर्णिम अध्याय बनकर रहेगा। उनके द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले न केवल न्याय के सिद्धांतों को मजबूत करने वाले रहे, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज के विविध पहलुओं को प्रभावित किया। उनके विदाई भाषण और उनके कार्यकाल की समाप्ति के साथ ही भारत को एक सशक्त और स्वतंत्र न्यायपालिका का एक नया अध्याय समाप्त हुआ है। अब, जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट नई दिशा में कार्य करेगा। CJI चंद्रचूड़ का योगदान भारतीय न्यायपालिका में अनमोल रहेगा, और उनका मार्गदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
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