पटना: बिहार में हुए चार विधानसभा उपचुनावों के परिणाम शनिवार को घोषित किए गए, और इन सभी सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशियों ने विजय प्राप्त की। निर्वाचन आयोग ने इस बात की जानकारी दी।
इमामगंज सीट पर दीपा कुमारी की जीत
इमामगंज सीट पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की उम्मीदवार दीपा कुमारी ने 53,435 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के रोशन कुमार को 47,490 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जन सुराज पार्टी के जितेंद्र पासवान ने 37,103 वोट हासिल किए।
बेलागंज सीट पर मनोरमा देवी की शानदार जीत
बेलागंज विधानसभा सीट पर जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) की मनोरमा देवी ने 73,334 वोटों के साथ जीत दर्ज की। इस सीट पर राजद के विश्वनाथ कुमार सिंह को 51,943 वोट मिले, जबकि जन सुराज पार्टी के मोहम्मद अमजद को 17,285 वोट हासिल हुए।
रामगढ़ में अशोक कुमार सिंह की जीत
रामगढ़ सीट पर भा.ज.पा. (BJP) के अशोक कुमार सिंह ने 62,257 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतीश कुमार यादव को 60,895 वोट मिले, जबकि जन सुराज पार्टी के सुशील कुमार सिंह ने 6,513 वोट प्राप्त किए।
भोजपुर : बिहार के तरारी विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विजय प्राप्त की है। बीजेपी के उम्मीदवार विशाल प्रशांत, जो पूर्व बाहुबली विधायक सुनील पांडेय के बेटे हैं, ने चुनावी मैदान में शानदार प्रदर्शन करते हुए सीपीआई-एमएल (माले) के प्रत्याशी राजू यादव को हराया। चुनाव परिणामों के पहले राउंड से ही विशाल प्रशांत की बढ़त साफ नजर आ रही थी, हालांकि, अभी तक आधिकारिक घोषणा होना बाकी है। बीजेपी की जीत के बाद उनके समर्थकों में खुशी का माहौल है और जगह-जगह जश्न मनाया जा रहा है।
मतदान और चुनावी माहौल
तरारी विधानसभा उपचुनाव में लगभग 51 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 4 प्रतिशत कम था। 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां 55 प्रतिशत मतदान हुआ था। उस समय, माले के सुदामा प्रसाद ने जीत हासिल की थी। दिलचस्प बात यह है कि तरारी में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े सुनील पांडेय ने 63,000 वोट हासिल किए थे, लेकिन वे लगभग 12,000 वोटों से चुनाव हार गए थे। यह आंकड़े इस बार के चुनावी परिणामों पर प्रभाव डालने वाले थे, लेकिन बीजेपी के विशाल प्रशांत ने अपनी राजनीतिक क्षमता और रणनीति से इसे बदल दिया।
तरारी की राजनीतिक पृष्ठभूमि
तरारी विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में एक अहम स्थान रखता है। इस सीट से तीन बार सुनील पांडेय विधायक रहे थे। उनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज थे और उनका नाम बिहार के बाहुबली नेताओं में लिया जाता था। सुनील पांडेय को बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने में मदद करने के लिए भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जैसे बाहुबली नेताओं को नीतीश कुमार के पक्ष में खड़ा किया था। इस वजह से तरारी हमेशा चर्चा में रहा है।
सुदामा प्रसाद और माले का प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों से तरारी विधानसभा क्षेत्र में माले का दबदबा था। सुदामा प्रसाद ने दो बार इस सीट से विधायक चुने जाने के बाद माले को मजबूती प्रदान की थी। लेकिन इस बार माले के लिए यह सीट आसान नहीं थी, क्योंकि बीजेपी ने सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत को उम्मीदवार बनाया था। विशाल प्रशांत के मैदान में आने के बाद यहां चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल गए थे।
जनसुराज पार्टी का भी प्रभाव
इस बार, जनसुराज पार्टी की ओर से भी एक उम्मीदवार, किरण सिंह, चुनावी मैदान में थीं। वह मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही, लेकिन इसके बावजूद जीत नहीं पा सकीं। हालांकि, उनके प्रयासों ने माले और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर को और दिलचस्प बना दिया था। इस उपचुनाव में वोटों की गिनती के दौरान यह साफ था कि मुकाबला बेहद कड़ा था और कोई भी पार्टी आसानी से अपनी जीत का दावा नहीं कर सकती थी।
मतगणना और सुरक्षा व्यवस्था
तरारी उपचुनाव की मतगणना आरा शहर के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, केजी रोड में हुई। जिला प्रशासन ने मतगणना केंद्र की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए थे। तीन स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था की गई थी ताकि मतगणना प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी या अव्यवस्था न हो।
विशाल प्रशांत की जीत का जश्न
विशाल प्रशांत की जीत के बाद बीजेपी समर्थकों में भारी खुशी का माहौल है। चुनावी नतीजों के अनुसार, वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में सफल हुए हैं। बीजेपी ने इस जीत को अपनी मजबूती और सूबे की राजनीति में अपनी बढ़ती हुई पकड़ के तौर पर देखा है।
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