रांची: रातु स्थित होचर गांव में शुक्रवार को आदिवासी समाज द्वारा हड़गड़ी पूजा धूमधाम से संपन्न की गई। यह पूजा सिरमा सिंगाबोगा से प्रारंभ होकर हड़गड़ी स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुई। कार्यक्रम का नेतृत्व मौजा के बसंत पाहन ने किया। पूजा में गांव के सैकड़ों महिला-पुरुष शामिल हुए और ढोल-नगाड़ों की धुन पर पूजा-अर्चना की।
पूजा का शुभारंभ घर से पदयात्रा के साथ हुआ। लोग घर में तैयार चावल, पीठा, और अन्य पारंपरिक व्यंजन लेकर हड़गड़ी स्थल पहुंचे। वहां पहुंचकर ये व्यंजन पूर्वजों के नाम पर गाड़े गए पत्थर को अर्पित किए गए। इसके साथ ही दीप जलाए गए, सिंदूर और टीका चढ़ाया गया।
बसंत पाहन ने कहा, “हड़गड़ी पूजा आदिवासी समाज के लिए विशेष महत्व रखती है। इसमें पूर्वजों को भगवान मानकर उन्हें सामूहिक रूप से याद किया जाता है। यह पूजा गांव और घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए की जाती है।”
देवेन्द्र पाहन ने राज्य सरकार से सरना, मसना, अखरा और हड़गड़ी स्थलों की सुरक्षा के लिए घेराबंदी की मांग की। उन्होंने कहा कि ये धार्मिक स्थल आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा के प्रतीक हैं। इन स्थलों को जमीन कारोबारियों से बचाने के लिए संरक्षा अत्यंत आवश्यक है।
पूजा में परहेपाट, झखराटांड, होचर, तारूप, कटमकुली, पुरियो, हुरहुरी, फेटा समेत अन्य गांवों के लोग शामिल हुए।
इस अवसर पर मनीष मुंडा, शैलेन्द्र पाहन, दीपक मुंडा, अमीन मुंडा, बिनय पाहन, सीताराम मुंडा, सोनामती पाहन, इंदर पाहन, पंचु पाहन, चरण पाहन, बासदेव पाहन, हेमंत मुंडा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
संस्कृति और संरक्षण की आवश्यकता
पूजा के दौरान धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण पर जोर दिया गया। ग्रामीणों ने कहा कि इन स्थलों की रक्षा से न केवल समाज की संस्कृति संरक्षित होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी अपनी परंपराओं से जुड़ी रहेंगी।
पूजा का समापन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ, जिसमें आदिवासी लोकगीत और नृत्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।