नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। ISRO ने शनिवार को घोषणा की कि ‘पीएसएलवी-सी60 पीओईएम-4 प्लेटफॉर्म’ पर अंतरिक्ष में भेजे गए लोबिया के बीज सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में अंकुरित हो गए हैं। यह घटना ISRO के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है।
ISRO का प्रयोग
ISRO के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) द्वारा किए गए ‘कक्षीय पादप अध्ययन’ (CROPS) प्रयोग के तहत 30 दिसंबर को पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के माध्यम से आठ लोबिया के बीज अंतरिक्ष में भेजे गए थे। इस मिशन का उद्देश्य सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में पौधों के विकास का अध्ययन करना था। चार दिन के भीतर इन बीजों के अंकुरित होने की खबर ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नई राह खोली है।
ISRO का ट्विटर पर ऐलान
ISRO ने इस ऐतिहासिक सफलता की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। पोस्ट में लिखा था, “अंतरिक्ष में हुआ जीवन का अंकुरण! PSLV-C60 POEM-4 के माध्यम से वीएसएससी के CROPS प्रयोग में 4 दिन में लोबिया के बीज सफलतापूर्वक अंकुरित हुए। जल्द ही पत्तियां निकलने की उम्मीद है।”
PSLV-C60 मिशन: कक्षा में 24 प्रयोग
पीएसएलवी-सी60 मिशन ने 30 दिसंबर की रात दो स्पेडेक्स उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया था। इस मिशन का चौथा चरण 350 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है, और इस दौरान कक्षा में 24 प्रयोग किए जा रहे हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण प्रयोग था – यह पादप अंकुरण।
यह प्रयोग ISRO की वैज्ञानिक क्षमताओं को और भी ऊंचा उठाता है और अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं पर नए सवाल खड़ा करता है। ISRO के इस अद्भुत प्रयोग ने साबित कर दिया है कि अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाएं अब और भी उज्जवल हैं।