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महाकुंभ 2025 : 1800 साधु आज बनेंगे नागा, परीक्षा का पहला दिन, जानें पूरी प्रक्रिया

by Rakesh Pandey
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प्रयागराज : महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और इस बार की सबसे प्रमुख और रहस्यमयी प्रक्रिया नागा साधु बनने की है। इन साधुओं के लिए पवित्र गंगा में स्नान से लेकर कठिन तपस्या तक के कई चरणों से गुजरना होता है। महाकुंभ में नागा साधु बनने की प्रक्रिया को लेकर शुक्रवार से जूना अखाड़े में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह एक ऐसी दीक्षा है, जिसमें शामिल होने के लिए साधुओं को कई शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

नागा साधु बनने के लिए क्या है प्रक्रिया

महाकुंभ के दौरान नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद सख्त और चुनौतीपूर्ण होती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत आज से जूना अखाड़े से हो चुकी है, जहां नागा बनने के इच्छुक साधुओं की भर्ती हो रही है। इन साधुओं को पहले गंगा में 108 बार डुबकी लगानी होती है, जो इस दीक्षा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बाद, तंगतोड़ क्रिया के द्वारा उनकी तपस्या की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।

बताया जा रहा है कि इस बार लगभग 1800 से ज्यादा साधुओं को नागा साधु बनाया जाएगा। इनमें जूना अखाड़े से सर्वाधिक साधु इस प्रक्रिया में शामिल होंगे, लेकिन महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान और उदासीन अखाड़ों के साधु भी इस दीक्षा में भाग लेंगे।

दीक्षा के दौरान क्या-क्या होता है

नागा साधु बनने के लिए जिन साधुओं को दीक्षा दी जाती है, उन्हें पहले 24 घंटे बिना भोजन और पानी के तपस्या करनी होती है। यह तपस्या साधु के शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए जरूरी होती है। जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के अनुसार, दीक्षा की शुरुआत धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या करने से होती है, जिसके बाद साधुओं को गंगा तट पर ले जाया जाता है।

गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद साधुओं का क्षौर कर्म (सिर मुंडवाने की प्रक्रिया) और विजय हवन किया जाता है। इस दौरान पांच गुरु उन साधुओं को अलग-अलग वस्तुएं देते हैं, जो उन्हें दीक्षा के बाद नागा रूप में अपना जीवन जीने के लिए जरूरी होती हैं। इसके बाद, आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा संन्यास की दीक्षा दी जाती है।

नागा रूप में जीवन की शुरुआत

दीक्षा के बाद इन साधुओं को अपनी नई पहचान मिलती है। इस प्रक्रिया के बाद, 19 जनवरी को नागा साधु अपने पहले अमृत स्नान के लिए अखाड़े के साथ गंगा में डुबकी लगाएंगे। इस दौरान, ये साधु या तो वस्त्र पहन सकते हैं या दिगंबर रूप में रह सकते हैं। हालांकि, अमृत स्नान के दौरान इन साधुओं को नागा रूप में ही स्नान करना होता है।

महाकुंभ में 1800 से अधिक नागा साधु

महाकुंभ के इस बार के आयोजन में लगभग 1800 से अधिक साधुओं को नागा रूप में दीक्षा दी जाएगी। यह संख्या कई अखाड़ों में बांटी जाएगी, लेकिन सबसे ज्यादा नागा साधु जूना अखाड़े से बनाए जाएंगे। जूना अखाड़ा इस दीक्षा की सबसे महत्वपूर्ण जगह मानी जाती है, जहां हर साल हजारों साधु इस प्रक्रिया से गुजरते हैं।

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