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रेनॉल्डस पेन ने कैसे दी केजरीवाल को एक आम आदमी की पहचान, एक यात्रा…..

बहुत सी याचिकाओं और फाइलों पर केजरीवाल ने अपनी रेनॉल्ड्स 045 से साइन किए होंगे। जब केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका की ओर देखा, तो AAP ने दर्जनों राज्यों में चुनाव लड़ा।

by Reeta Rai Sagar
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फीचर डेस्कः एक मफलर, एक चश्मा, हाफ स्लीव की शर्ट और जेब में ब्लू कैप वाली पेन, ये सब अरविंद केजरीवाल के ‘आम आदमी’ लुक को पूरा करते है। ब्लू कैप वाली पेन उनके सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। ये पेन उनके एक राजस्व सेवा अधिकारी और कार्यकर्ता से मणिपाल मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और फिर एक राजनेता बनने तक, उनके साथ रही।

यह पेन केजरीवाल के आम आदमी होने का प्रतीक बन गई, जिसने विलासिता से परहेज किया। यह पेन उनके वैगन-आर कार से भी मेल खाती थी। यह एक रेनॉल्ड्स 045 कार्ब्योर पेन है, जिसकी कीमत मात्र 10 रुपये है।

रेनॉल्ड्स 045 और इसके भारत के आम आदमी के साथ जुड़ाव की कहानी इसलिए खास है, क्यों कि बीजेपी ने दिल्ली में AAP को सत्ता से बाहर कर दिया। 8 फरवरी को घोषित चुनाव परिणामों में, बीजेपी ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि AAP को केवल 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा।

रेनॉल्ड्स 045 का भारत में आगमन और सफलता
केजरीवाल के आम आदमी के इमेज में रेनॉल्ड्स 045 कलम का योगदान अहम था और यह एक राजस्व सेवा अधिकारी और आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में उनके लिए उपयोगी भी रही। रेनॉल्ड्स, न्यूवेल ब्रांड्स का एक सहायक, 1980 के दशक में भारत में आया था। रेनॉल्ड्स 045 कार्ब्योर को कार्यालयों, स्कूलों और घरों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया, क्योंकि इसकी रीफिल आसानी से बदली जा सकती थी और स्मूथ इंक फ्लो ने इसे भारत में एक हिट बना दिया। इसका 0.7 मिमी टिप से लिखाई आसान और सुंदर होती थी।

यह जबरदस्त लोकप्रियता और बिक्री का सामना करता रहा, हालांकि कंप्यूटरों और सस्ते विकल्पों के बाजार में आने से बाजार में इसके हिस्से में गिरावट आई। 2023 में अगस्त महीने में अफवाहें फैली थीं कि रेनॉल्ड्स 045 कार्ब्योर कलम का उत्पादन बंद कर दिया जाएगा। हालांकि रेनॉल्ड्स ने इसका खंडन किया और स्पष्ट किया कि इसका उत्पादन बंद करने की कोई योजना नहीं है।

2023 में रेनॉल्डस ने फेसबुक पोस्ट पर कहा कि “हाल की गलत सूचनाओं को देखते हुए, हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि जो जानकारी फैलायी जा रही है वह झूठी है। कंपनी ने कहा कि “हम अपने साझेदारों, हितधारकों और ग्राहकों से अनुरोध करते हैं कि वे केवल हमारी आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया चैनलों पर आए अपडेट्स को ही विश्वसनीय समझें,”।

रेनॉल्ड्स 045 पेन और सचिन तेंदुलकर’ से इसका जुड़ाव
प्रसिद्ध रेनॉल्ड्स 045 पेन को “सचिन तेंदुलकर पेन” के नाम से भी जाना जाता है। क्रिकेट के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, जो 2006 में रेनॉल्ड्स के ब्रांड एंबेसडर बने, ने इस पेन के लिए एक टीवी विज्ञापन में भी अभिनय किया। विज्ञापन में, जिसमें जिंगल “ब्लू और व्हाइट लिखो” था, तेंदुलकर नीले (ODI) और सफेद (Test) क्रिकेट किट में दिखाई दिए, जो पेन के रंग को दर्शाता था। नीला, पेन की “बिजली जैसी तेज़ी” को दर्शाता है, जबकि सफेद “भरोसा जैसे ढाल” का प्रतीक है।
केवल केजरीवाल ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी रेनॉल्ड्स 045 का इस्तेमाल करते नजर आए थे।

केजरीवाल की राजनीतिक यात्रा और रेनॉल्ड्स 045
केजरीवाल ने इस पेन का इस्तेमाल प्रतीकवाद और रेटोरिक के रूप में किया। 2016 में, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग पर हमला करते हुए, केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार “इतनी भी सक्षम नहीं है कि वह पेन भी खरीद सके,” क्योंकि वह और उनके कैबिनेट सहयोगी “संपूर्ण रूप से शक्तियों से वंचित हैं।” 2020 में, जब केंद्र पर जेएनयू विरोधियों पर पुलिस फायरिंग को लेकर हमला किया, तो उन्होंने कहा, “हमने बच्चों के हाथों में पेन और कंप्यूटर दिए हैं… वे बंदूकें और नफरत दे रहे हैं।”

संभवत: बहुत सी याचिकाओं और फाइलों पर केजरीवाल ने अपनी रेनॉल्ड्स 045 से साइन किए होंगे। जब केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका की ओर देखा, तो AAP ने दर्जनों राज्यों में चुनाव लड़ा। उसने पंजाब में जीत हासिल की और सरकार बनाई। इसके साथ ही यह राष्ट्रीय पार्टी बन गई। हालांकि अन्य राज्यों में, उसकी चुनावी यात्रा ज्यादातर विफल रही।

केजरीवाल ने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस और ब्रीफिंग्स में इस पेन को दिखाते हुए, या तो AAP की कल्याणकारी योजनाओं को उजागर किया, या नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया। सितंबर 2024 में, जब सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को सीबीआई मामले में जमानत दी, तो उन पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए। उन्हें दिल्ली सचिवालय में साइन करने और मुख्यमंत्री कार्यालय में जाने से रोक दिया गया। इसके बाद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, और उनकी कैबिनेट सहयोगी अतिशी ने पदभार संभाला। यह स्थिति ऐसी थी कि भले ही केजरीवाल चाहते, तब भी वह रेनॉल्ड्स पेन से कोई फाइल साइन नहीं कर सकते थे।

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