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RIMS : कॉर्निया ट्रांसप्लांट में आयेगी तेजी, लेटेस्ट तकनीक से होगी आंखों की सर्जरी

by Vivek Sharma
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रांची : राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में प्रबंधन व्यवस्था सुधारने को लेकर तेजी से काम कर रहा है। इस बीच इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बड़ी राहत मिलने वाली है। एक तरफ जहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट में तेजी आयेगी। वहीं लेटेस्ट तकनीक से आंखों की सर्जरी भी की जाएगी। बता दें कि रिम्स कैंपस में बन रहा रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थॉल्मोलॉजी (आरआईओ) का भवन हैंडओवर होने वाला है। इसके बाद झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों को भी आंखों से जुड़ी हर समस्या का इलाज होगा।

2018 में शुरू हुआ था कॉर्निया ट्रांसप्लांट

रिम्स ने 2018 में पहला कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया था। तब से अब तक 145 ट्रांसप्लांट किए हैं। रिम्स ने इसे बढ़ाने के लिए जुलाई 2024 में एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट हैदराबाद के साथ एमओयू किए हैं। इस एमओयू के बाद आई डोनेशन में सुधार होने की उम्मीद है। रिम्स के पीआरओ ने बताया कि नई व्यवस्था से मरीजों को राहत मिलेगी। आई डोनेशन को लेकर भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। हाईटेक मशीन के साथ मैनपावर भी उपलब्ध कराने में एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट सहयोग करेगा।

नए भवन में शिफ्ट होगा आई बैंक

आई डोनेशन के लिए रिम्स ने पहले ही आई बैंक शुरू किया है। इस बैंक को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया गया है, ताकि डोनेट किए गए कॉर्निया को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके। इस सुविधा के लिए नए भवन में जगह हैंडओवर कर दिया गया है। जहां पर आई बैंक को शिफ्ट कर दिया जाएगा। इस बैंक के चालू हो जाने से रिम्स ब्लाइंडनेस से निपटने में एक कदम और आगे बढ़ जाएगा।

लोगों को जीवन में मिल रही रोशनी

अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक रिम्स में कुल 70 आई डोनेशन दर्ज किए गए हैं। इनमें से 60 कॉर्निया अस्पताल में इलाज के दौरान मौत के बाद प्राप्त किए गए हैं। 47 ब्लाइंड लोगों को इन दान किए गए कॉर्निया से ट्रांसप्लांट के जरिए आंखों की रोशनी का उपहार मिला, जबकि बाकी कॉर्निया का उपयोग मेडिकल स्टडी और अनुसंधान के लिए किया गया।इसके अलावा रिम्स ने आई डोनेशन को और बढ़ावा देने के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन भी शुरू की है। मृतक के परिजन 9430170366 या 9430106070 पर कॉल करके कॉर्निया डोनेट की व्यवस्था कर सकते हैं। चूंकि कॉर्निया को मौत के 4 से 6 घंटे के भीतर हटाना आवश्यक होता है, इसलिए आई बैंक की टीम तुरंत प्रतिक्रिया देती है और कभी-कभी 150 किलोमीटर तक की यात्रा करती है।

टीम कर रही परिजनों को जागरूक

आई डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए रिम्स ने एचसीआरपी के तहत एक विशेष टीम का गठन किया है। यह टीम इलाज के दौरान मौत के बाद मृतक के परिजन को परामर्श देती है और उन्हें अपने प्रियजनों की आंखें दान करने के लिए प्रेरित करती है। इस पहल ने लोगों में जागरूकता बढ़ाई है और कई परिवारों को इस नेक काम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है। हालांकि जागरूकता की कमी के कारण रिम्स ने अधिक से अधिक लोगों से अपील की है कि वे इस नेक कार्य में हिस्सा लें और जरूरतमंदों की मदद करें। वहीं पीआरओ ने बताया कि लोग अब खुद से ऑनलाइन भी आई डोनेशन के लिए फॉर्म भर सकते हैं। जिससे कि आपके जाने के बाद भी कोई इस खूबसूरत दुनिया को देख सकता है।

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