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Justice Yashwant Verma : जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग की तैयारी : PM मोदी से मिले अमित शाह, विपक्ष से सहमति की कोशिशें तेज

by Rakesh Pandey
Justice Yashwant Verma
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नई दिल्ली : 14 मार्च 2025 को दिल्ली के तुगलक क्रेसेंट स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद, वहां से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसने जस्टिस वर्मा के आचरण पर गंभीर सवाल उठाए। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि जस्टिस वर्मा ने आग लगने के बाद घटनास्थल का निरीक्षण करने में देरी की और सफाई कार्यों की निगरानी नहीं की, जिससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका बढ़ी।

सरकार की रणनीति : विपक्ष से सहमति की कोशिश

केंद्र सरकार ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में गृह मंत्री अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू विपक्षी दलों से संवाद स्थापित कर रहे हैं, ताकि संसद के आगामी मानसून सत्र में सर्वसम्मति से महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सके।

महाभियोग प्रक्रिया : क्या है संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से महाभियोग प्रस्ताव पारित करना आवश्यक है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है। यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो राष्ट्रपति न्यायाधीश को पद से हटा सकते हैं।

न्यायपालिका की प्रतिक्रिया और जस्टिस वर्मा का पक्ष

जस्टिस वर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनके आवास से मिली नकदी उनकी नहीं थी और यह उनके खिलाफ साजिश है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति ने उनकी सफाई को असंगत और अविश्वसनीय माना है। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके न्यायिक कार्यों से उन्हें अलग कर दिया था और बाद में उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया, जहां उन्होंने 5 अप्रैल को कार्यभार संभाला।

बार एसोसिएशन और विपक्ष की प्रतिक्रिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने महाभियोग की पहल का स्वागत करते हुए इसे “जनता की जीत” बताया है। वहीं, कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने संसद में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की है, ताकि सांसदों को सूचित निर्णय लेने में सहायता मिल सके।

आगे की राह : क्या हो सकता है

सरकार मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रही है, जो जुलाई के मध्य में शुरू होने की संभावना है। यदि विपक्ष का समर्थन प्राप्त होता है, तो यह प्रस्ताव भारतीय न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या यह प्रस्ताव संसद में पारित होता है या नहीं, क्योंकि भारत में अब तक किसी भी न्यायाधीश को महाभियोग के माध्यम से पद से नहीं हटाया गया है। यह मामला भारतीय न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। सरकार और विपक्ष की संयुक्त पहल से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।

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