सेंट्रल डेस्क। भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की नई ADC (Aide-de-Camp) नियुक्त किया गया है। इस गौरवपूर्ण जिम्मेदारी के साथ ही यशस्वी नेवी की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं, जिन्हें यह पद प्राप्त हुआ है।
गुजरात के भरूच जिले की रहने वाली यशस्वी एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। उनके पिता शिक्षक हैं और मां गृहणी। यशस्वी अपने परिवार की पहली सदस्य हैं, जो सेना में शामिल हुई हैं। उनके भाई और बहन मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं।
सेना में सफर की शुरुआत और कड़ी मेहनत
लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी ने 2012 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत नौसेना की लॉजिस्टिक्स ब्रांच जॉइन की थी। ADC बनने से पहले, वह हैदराबाद स्थित नौसेना आयुध यानी रक्षा उत्पादन विभाग में तकनीकी अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं। यशस्वी खेलों में भी बेहद सक्रिय रही हैं। वे बैंडमिंटन और वॉलीबॉल की अच्छी खिलाड़ी रही हैं और बचपन से ही इन खेलों में भाग लेती रही हैं।
ADC कैसे बनते हैं? जानिए चयन प्रक्रिया
राष्ट्रपति के ADC बनने की प्रक्रिया बेहद सख्त और चुनौतीपूर्ण होती है। इसके लिए उम्मीदवारों को शारीरिक फिटनेस, बुद्धिमत्ता और जटिल परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता जैसे कई मापदंडों पर परखा जाता है।
जानकारी के मुताबिक, नौसेना के ADC का कार्यकाल समाप्त होने के बाद तीन महिला अधिकारियों को इस पद के लिए चुना गया। उन्हें राष्ट्रपति भवन में प्रशिक्षण और आकलन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका व्यक्तिगत इंटरव्यू लिया। इंटरव्यू और परीक्षण के आधार पर 9 मई को यशस्वी सोलंकी को ADC के तौर पर चयनित किया गया और उन्हें ADC का प्रतीक चिन्ह ‘एगुइलेट’ सौंपा गया।
ADC का कार्य और जिम्मेदारियां क्या होती हैं?
राष्ट्रपति के साथ कुल 5 ADC होते हैं, जिनमें से तीन थल सेना, एक वायु सेना और एक नौसेना से होते हैं। यशस्वी नौसेना से नियुक्त ADC हैं।
ADC की भूमिका केवल प्रतीकात्मक नहीं होती, बल्कि वे राष्ट्रपति के निजी सैन्य सहायक के रूप में कार्य करते हैं। उन्हें राष्ट्रपति के आवास में बगल वाला कमरा आवंटित किया जाता है। उनके प्रमुख कर्तव्यों में राष्ट्रपति को रणनीतिक जानकारी देना, सेना के साथ समन्वय बनाए रखना और सलाह देना शामिल होता है।