Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) जिले के नोवामुंडी प्रखंड में सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति और शिक्षकों की भारी कमी अब एक बड़ा मुद्दा बन गई है। मंगलवार को गुवा पश्चिमी पंचायत भवन में बाल अधिकार सुरक्षा मंच के नेतृत्व में एक अनूठा पोस्टकार्ड अभियान चलाया गया, जिसका लक्ष्य सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक बच्चों की आवाज़ पहुंचाना है।
हजारों पोस्टकार्ड भेज कर मुख्यमंत्री से लगाई गुहार
महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर गुवा डाकघर के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हज़ारों की संख्या में पोस्टकार्ड भेजे। इन पोस्टकार्ड्स में जिले के स्कूलों की बदहाली पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है और मुख्यमंत्री से इस पर अविलंब कार्रवाई करने की मांग की गई है। बाल अधिकार सुरक्षा मंच की पदाधिकारी पद्माा केसरी ने बताया कि जिला स्तर पर चलाए जा रहे इस विशेष अभियान के तहत कुल 50 हजार पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री को भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पोस्टकार्ड्स में बच्चों के भविष्य से जुड़ी कई अहम मांगें दर्ज हैं। इनमें स्कूलों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने, आधारभूत संसाधन उपलब्ध कराने, बच्चों के लिए पहचान पत्र, छात्रवृत्ति और प्रमाण पत्र जैसी सुविधाएं सुचारू रूप से दिलवाने की प्रमुख मांगें शामिल हैं।
50 से अधिक स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे
पदdमा केसरी ने बताया कि नोवामुंडी क्षेत्र में 50 से अधिक प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय हैं, जिनमें से अधिकांश केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ये आंकड़े शिक्षा व्यवस्था की गंभीर चुनौती को दर्शाते हैं। विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव है। न तो पर्याप्त कमरे हैं, न ही स्वच्छ शौचालय, पीने का साफ़ पानी, पुस्तकालय या खेल का मैदान। कई स्कूलों की इमारतें जर्जर अवस्था में हैं और उन्हें तुरंत मरम्मत की आवश्यकता है, जबकि कुछ में तो बिजली तक नहीं है।
आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर संकट
एक और महत्वपूर्ण मुद्दा स्थानीय भाषाओं के शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, एक बड़ी संख्या में बच्चे ऐसे भी हैं जिनके पास आधार कार्ड या जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, जिससे उनका स्कूलों में नामांकन, छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भारी परेशानी हो रही है।
पलायन, बाल श्रम और बाल विवाह में लगातार वृद्धि : मंच
बाल अधिकार मंच ने चिंता जताई कि इन शैक्षणिक समस्याओं के कारण क्षेत्र में पलायन, बाल श्रम और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियां भी लगातार बढ़ रही हैं। मंच का स्पष्ट मत है कि जब तक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और एक सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण नहीं मिलेगा, तब तक ये सामाजिक समस्याएं बनी रहेंगी। मंच ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह आंदोलन और भी तेज़ किया जाएगा।
ये थे उपस्थित
इस अभियान में पद्मा केसरी के साथ ममता देवी, पंचायत मुखिया चांदमनी लागुरी, जेएसएलपीएस जेंडर सीआरपी गीता देवी, शंकर दास, मंजुला देवी, शत्रुघ्न केली, सावित्री हेस्सा, कमला तियु, जोनो टोप्पो, गणेश चातोम्बा, सावन गोप, नेहा सिंह, नंदिनी करुवा सहित कई अन्य जागरूक नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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