रांची: झारखंड सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने पलामू जिले में शराब की खुदरा बिक्री से 112 करोड़ रुपये का न्यूनतम गारंटीड राजस्व तय किया है। यह लक्ष्य 1 सितंबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक के सात महीनों में पूरा किया जाएगा।
70 दुकानों के लिए अगस्त में होगी लॉटरी
पलामू में 70 सरकारी शराब दुकानों का संचालन अब खुदरा विक्रेताओं के जरिए किया जाएगा, जिनका चयन अगस्त महीने में लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। इस संबंध में विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने कहा, “राज्य सरकार विक्रेताओं के साथ 31 मार्च 2030 तक का अनुबंध कर रही है। यह एक बड़ी और रणनीतिक पहल है।”
सालाना नवीनीकरण से बढ़ेगा राजस्व
हालांकि, विक्रेताओं को हर साल अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होगा। यह प्रक्रिया सरल और परेशानी मुक्त होगी। हर साल लाइसेंस नवीनीकरण में 10% की वृद्धि के साथ सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
सुगम संक्रमण और बिहार सीमा पर सख्त निगरानी
उत्पाद विभाग के सूत्रों के अनुसार, शराब दुकानों का संचालन मैनपावर एजेंसी से लेकर सरकार के अधीन लाने की प्रक्रिया बेहद सुगमता से हुई। कहीं भी किसी तरह की अव्यवस्था या हंगामा नहीं हुआ। किसी शराब उपभोक्ता ने बोतल न मिलने की शिकायत नहीं की।
पलामू के उत्पाद अधीक्षक संजीत कुमार देव ने कहा, “बिहार सीमा से सटे क्षेत्रों में स्थित दुकानों की संक्रमण प्रक्रिया को हमने विशेष निगरानी में संपन्न कराया। यह सीमा लंबी और छिद्रयुक्त है, इसलिए अतिरिक्त सतर्कता बरती गई।”
लक्ष्य सिर्फ सात महीने में 112 करोड़
देव ने कहा, “112 करोड़ रुपये का यह गारंटीड राजस्व केवल सात महीनों – सितंबर 2025 से मार्च 2026 – के लिए है। हम इसे हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
ईमानदारी से व्यापार और कीमत नियंत्रण पर जोर
उत्पाद सचिव अमिताभ कौशल ने स्पष्ट किया कि अब केवल दुकानों की संख्या नहीं, बल्कि पारदर्शी और निष्पक्ष व्यापार पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि विक्रेताओं द्वारा ओवरप्राइसिंग न हो। इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
लॉटरी में भाग लेने को लोग उत्साहित
जब उनसे यह बताया गया कि राज्यभर में लोग खुदरा अधिकार पाने के लिए लॉटरी प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं, तो उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा, “हमें भी ऐसे फीडबैक मिल रहे हैं कि लोग खुदरा लाइसेंस के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।”
झारखंड सरकार की यह नई पहल पलामू में पारदर्शी शराब व्यापार की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न सिर्फ राज्य को राजस्व लाभ होगा, बल्कि खुदरा विक्रेताओं को भी एक दीर्घकालिक और सुसंगठित व्यापारिक अवसर मिलेगा।