लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार परिषदीय स्कूलों के बच्चों को सुरक्षित शैक्षिक माहौल देने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। अब प्रदेश के किसी भी प्राथमिक या उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे जर्जर भवनों के नीचे नहीं बैठेंगे। सरकार ने खतरनाक इमारतों की पहचान कर उन्हें ध्वस्त करने (UP school Building Demolition) और नए भवनों के निर्माण की प्रक्रिया तेज कर दी है।
दो वर्षों में 283 करोड़ रुपये से हुआ 1835 स्कूलों का पुनर्निर्माण
पिछले दो वर्षों में 283 करोड़ रुपये की लागत से 1835 स्कूलों का पुनर्निर्माण किया गया है। वहीं, 24 करोड़ रुपये की लागत से 578 विद्यालयों में मरम्मत कार्य कर उन्हें अध्ययन योग्य बनाया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार ने 106 करोड़ रुपये से 557 स्कूलों का पुनर्निर्माण और 45 करोड़ रुपये से 1033 विद्यालयों की मरम्मत कराने की योजना बनाई है।
गठित की गई तकनीकी समिति
विभाग द्वारा एक तकनीकी समिति गठित की गई है, जो लगातार निरीक्षण कर जर्जर भवनों का मूल्यांकन, सत्यापन, नीलामी और ध्वस्तीकरण सुनिश्चित कर रही है। जिन इमारतों को अभी तक गिराया नहीं जा सका है, उन पर “निष्प्रयोज्य (Abandoned)” का बोर्ड लगाया जा रहा है ताकि कोई अनजाने में उनका उपयोग न करे।
UP school Building Demolition : वैकल्पिक कक्षाओं का किया जा रहा संचालन
जहां पुनर्निर्माण संभव नहीं है, वहां छत, दीवार या अन्य संरचनात्मक हिस्सों की मजबूती कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही, इन स्कूलों के बच्चों के लिए निकटतम परिषदीय विद्यालय, पंचायत भवन या अन्य सरकारी परिसरों में वैकल्पिक कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है।
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