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Jamshedpur News : डेढ़ साल में जमशेदपुर को एनएच पर मिल जाएगा नया फ्लाईओवर

नेशनल हाईवे पर 2027 में बन कर होगा पूरा, 65 पिलर का निर्माण कार्य लगभग पूरा

by Mujtaba Haider Rizvi
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Jamshedpur News : जमशेदपुर में नेशनल हाईवे 33 पर पारडीह काली मंदिर से भिलाईपहाड़ी तक फ्लाईओवर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। एनएचएआइ (नेशनल हाईवेज अथारिटी ऑफ इंडिया) के इंजीनियरों को उम्मीद है कि यह फ्लाईओवर अगले साल मार्च तक बन कर पूरा हो जाएगा। 690.05 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे इस फ्लाईओवर का काम तेजी से चल रहा है।

65 जगह हुआ है पाइलिंग का काम

एनएचएआई के इंजीनियरों ने बताया कि फ्लाईओवर को लेकर 65 जगहों पर पाइलिंग का काम हुआ है। फ्लाईओवर के कुल बजट में से पिलर निर्माण के लिए 279 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अगर यह राशि कम पड़ी तो इसे बढ़ाया भी जा सकता है। अभी पिलर निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि फ्लाईओवर का निर्माण कार्य तय समय सीमा 30 महीने के अंदर पूरा कर लिया जाए। फ्लाईओवर का निर्माण कार्य कार्यकारी संस्था एचजी इंफ्रा इंजीनियरिंग कर रही है। एनएचएआई की परियोजना निदेशक एकता कुमारी ने बताया कि फ्लाईओवर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। कंपनी को निर्देश दिया गया है कि वह तय समय-सीमा में निर्माण कार्य पूरा करे।

हर तल पर छह लेन की होगी सड़क

एनएचएआइ के इंजीनियरों का कहना है कि यह फ्लाईओवर उत्तम आधुनिक तकनीक से बनाया जा रहा है ताकि भविष्य में 50 साल तक यातायात को लेकर कोई दिक्कत नहीं हो। यह फ्लाईओवर 50 साल तक की ट्रैफिक की जरूरतों को पूरा करता रहे। यह फ्लाईओवर पहले पारडीह से बालीगुमा तक पांच किलोमीटर लंबा बनाया जा रहा था। मगर, बाद में इसकी लंबाई बढ़ाई गई है। अब इसे 10.21 किलोमीटर लंबा बनाया जा रहा है। फ्लाईओवर को बालीगुमा से और आगे भिलाईपहाड़ी तक कर दिया गया है। यह फ्लाईओवर एनएच 33 के 241.940 किलोमीटर से 251.961 किलोमीटर तक बनाया जा रहा है।

स्टील फाइबर तकनीक से बनाए जा रहे पिलर

एनएचएआई के इंजीनियरों ने बताया कि इस फ्लाईओवर के पिलर स्टील फाइबर रिइंस्फोर्ड तकनीक से बनाए जा रहे हैं। इस तकनीक से फ्लाईओवर काफी मजबूत बनेगा और इसके पिलर की संख्या भी बेहद कम होगी। इस तकनीक में पिलर में कंक्रीट के साथ स्टील फाइबर भी मिक्स किया जाता है।

पहले थी 1876 करोड़ रुपये की लागत

पहले यह डबल डेकर फ्लाईओवर बनाया जाना था। तब इसकी लागत 1876 करोड़ रुपये थी। बाद में एनएचएआई के अधिकारियों ने इसे अधिक माना। मंत्रालय ने एतराज जताया तो नागपुर और बेंगलुरू के इंजीनियर बुलाए गए और योजना की लागत घटा दी गई। अब डबल डेकर फ्लाईओवर नहीं बनाने का फैसला हुआ है। अब इसकी लागत कम कर 690.05 करोड़ रुपये हो गई है।

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