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Tata Steel Vijay-II mine lease ends : टाटा स्टील की विजय-टू खदान की लीज समाप्त, हजारों पर बेरोजगारी का खतरा

by Anand Mishra
Vijay-two Iron Ore Mines
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Novamundi (Jharkhand) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिला टाटा स्टील (Tata Steel)) की विजय-टू आयरन ओर माइंस की लीज रविवार को समाप्त हो गई। इससे पूरे क्षेत्र में लोगों को गंभीर आर्थिक संकट का डर सताने लगा है। इस खदान के बंद होने से सीधे तौर पर लगभग डेढ़ हजार से अधिक लोगों का रोजगार खतरे सड़ जायेगा। वहीं, परोक्ष रूप से 4 से 5 हजार लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। यह सिर्फ एक खदान के बंद होने का मामला नहीं है, बल्कि सारंडा और लोहांचल क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

हजारों लोगों का रोजगार खतरे में

वाहन मालिक और चालक: खदान से जुड़े करीब 600 छोटे-बड़े वाहन माल ढुलाई का काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर बैंक लोन पर खरीदे गए हैं। वाहन मालिकों का कहना है कि अगर खदान बंद हुई तो उनकी गाड़ियां खड़ी हो जाएंगी और बैंक रिकवरी की कार्रवाई शुरू कर देंगे। इससे हजारों ट्रक चालक, हेल्पर और मैकेनिक बेरोजगार हो जाएंगे।

ठेका मजदूर : विजय-टू खदान में टाटा स्टील के साथ कई वेंडर कंपनियां काम करती हैं, जिनमें बीएस माइनिंग, क्रेशर और श्री साईं कंपनी शामिल हैं। इन कंपनियों के लगभग 800 से ज्यादा मजदूर संविदा पर काम करते हैं। वे पूरी तरह से इस काम पर निर्भर हैं। उनका कहना है कि अगर खदान बंद होती है तो उन्हें वापस गांव जाकर खेती करनी पड़ेगी, जो परिवार का पेट भरने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
स्थानीय कारोबार : ट्रक-टायर की दुकानें, ढाबे, पेट्रोल पंप और आसपास के छोटे-मोटे होटल भी इस खदान पर निर्भर थे। खदान के बंद होने से इन सभी व्यवसायों पर सीधा असर पड़ेगा।

पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर गहराएगा संकट

स्थानीय लोगों का डर है कि लीज के नवीनीकरण में देरी होने से सिर्फ रोजगार का नुकसान नहीं होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति डगमगा जाएगी। बेरोजगारी बढ़ने से बैंक लोन (Bank Loan) की ईएमआई (EMI) रुकेंगी, बाजार में गिरावट आएगी, और यहां तक कि किराए के मकानों की मांग भी घट जाएगी। ग्राम मुंडा कानूराम देवगम ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि जब पेट खाली होता है तो आदमी कुछ भी कर सकता है।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी सिर्फ जेब खाली नहीं करती, बल्कि जंगल और समाज दोनों को तबाह कर देती है। यह एक ऐसा संकट है जो लोगों को अवैध कामों, जैसे लकड़ी तस्करी और खनिज चोरी, की तरफ धकेल सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें सरकार और टाटा स्टील प्रबंधन पर टिकी हैं कि वे इस समस्या का समाधान कैसे निकालते हैं, ताकि हजारों लोगों की आजीविका को बचाया जा सके।

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