

Jamshedpur : महान उद्योगपति टाटा समूह के सर दोराबजी टाटा की जयंती बुधवार को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर दोराबजी टाटा पार्क में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन, उनकी पत्नी रुचि नरेंद्रन, पूर्व एमडी टीआर मुखर्जी, डेजी ईरानी, जुस्को के प्रबंध निदेशक ऋतुराज सिंहा सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा कि सर दोराबजी टाटा ने अपने पिता जमशेदजी नसरवानजी टाटा के सपनों को साकार कर भारतीय औद्योगिक इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखा। जमशेदजी ने स्टील प्लांट का सपना देखा था, लेकिन उसे वास्तविकता में बदलने का श्रेय दोराबजी टाटा को जाता है। उनके संकल्प और त्याग की वजह से ही टाटा स्टील आज 118 वर्षों से लगातार स्टील उत्पादन कर रही है और देश की सबसे पुरानी अग्रणी स्टील कंपनी बनी हुई है।

मीडिया से बातचीत में नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील का 119 साल का सफर वास्तव में भारत के विकास की कहानी है। जहां भी टाटा का प्लांट स्थापित होता है, वहां विकास की रफ्तार तेज होती है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति फिलहाल ठीक नहीं है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और हम हमेशा प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहेंगे।

टैरिफ से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि स्टील पर इसका खास असर नहीं होगा, हालांकि टेक्सटाइल सेक्टर प्रभावित हो सकता है। केंद्र सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
इधर, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी ने कहा कि उस दौर में जब एक कील भी विदेश से आती थी, तब जमशेदजी टाटा ने लौह उद्योग की नींव रखी। उन्होंने कहा, “जिसके पास लोहा होगा, वही सोना बनाएगा।” दोराबजी टाटा ने अपने पिता के इस सपने को साकार किया। चौधरी ने कहा कि स्टील उद्योग सिर्फ कंपनी और मजदूरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके साथ परिवहन, दुकान और अन्य रोजगार भी सात गुना अनुपात में पैदा होते हैं।
