

Jamshedpur : टाटा स्टील और टाटा वर्कर्स यूनियन के बीच गुरुवार को बोनस समझौता हो गया है। इस साल 16.68 प्रतिशत बोनस मिलेगा, जो पिछले साल की तुलना में कम है। इस साल बोनस का प्रतिशत कम होने से टाटा स्टील कर्मियों में मायूसी है। कर्मियों का कहना है कि साल 2022 और 2023 में टाटा स्टील ने कर्मचारियों को 20 प्रतिशत बोनस दिया था। मगर, पिछले साल से टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी बोनस के मामले में कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से बोनस का प्रतिशत साल दर साल घटता जा रहा है।

टाटा स्टील में पिछले साल 17.89 प्रतिशत बोनस हुआ था। जबकि, इस साल इसमें 1.21 प्रतिशत की कमी आई है। बोनस में कमी से टाटा स्टील के कर्मचारियों में नाराजगी है। मगर, खुल कर बोलने से लोग कतरा रहे हैं। बोनस की कुल रकम 303.12 करोड़ रुपये है। कर्मचारियों का कहना है कि इस बार कंपनी को पिछले साल से भी कम बोनस समझौता मिला है। कंपनी के आम कर्मचारी में इस बोनस से खुश नहीं हैं। कर्मचारी पिछले साल के बोनस से ही उदास थे। इस साल उम्मीद थी कि यूनियन कम से कम 20 प्रतिशत बोनस दिलाएगी। मगर, उनकी उम्मीद पर पानी फिर गया।


कर्मचारियों का कहना है कि इस बोनस का असर टाटा वर्कर्स यूनियन के अगले चुनाव पर पड़ सकता है। सूत्र बताते हैं कि कई यूनियन नेता पिछले दो साल से कम बोनस मिलने को अगले यूनियन चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहे हैं।

इसे लेकर अभी से लामबंदी शुरू हो गई है। अलबत्ता, टाटा वर्कर्स यूनियन के समर्थक कर्मियों ने इस बोनस को भी पर्याप्त बताते हुए जश्न मनाया। हालांकि, यूनियन नेताओं का कहना है कि इस साल टाटा स्टील के मुनाफे में कमी आई है। तर्क दिया जा रहा है कि इस साल टाटा स्टील का मुनाफा घट कर 9255.5 करोड़ रह गया है। जबकि, पिछले साल कंपनी का मुनाफा 11275 करोड़ रुपये था।
क्या है बोनस का फार्मूला
बोनस का नया फार्मूला साल 2014 में तैयार किया गया था। इसके अनुसार बोनस की रकम मुनाफे का 1.5 प्रतिशत, प्रोफिटेबिलिटी (प्रति टन सेलेबल स्टील पर लाभ), प्रोडक्टिविटी (प्रति टन क्रूड स्टील का प्रति व्यक्ति वार्षिक उत्पादन) और सेफ्टी (एलटीआइआर) से तय होती है।
