Ranchi / Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड आंदोलन के कद्दावर नेता सह पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने राज्यवासियों से सामाजिक समरसता और भाईचारा बनाए रखने की भावुक अपील की है। शुक्रवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान में हर समस्या का समाधान निहित है, इसलिए झारखंडी जनता को अपनी आपसी एकता को टूटने नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता, आपसी भाईचारा और झारखंडी एकता ही इस राज्य की असली पहचान है। बेसरा ने जोर देकर कहा कि झारखंड में हिन्दू, मुस्लिम, सरना, सिख और ईसाई सभी भाई–भाई हैं, और आदिवासी तथा मूलवासी की एकता ही झारखंडी अस्मिता की प्रतीक है। उन्होंने अखंड झारखंड के संबंध को सर्वधर्म समभाव से जोड़ा, जो संविधान के अनुच्छेद 25 में समाहित है।
‘भाईचारे को तोड़ने की हो रही साजिशें घातक’
सूर्य सिंह बेसरा ने झारखंड की पहचान को परिभाषित करते हुए कहा कि भाषा, संस्कृति और सामाजिक परंपरा के आधार पर हमारी जातीय पहचान झारखंडी है, जबकि खतियान के आधार पर मूलवासी की पहचान तय होती है। उन्होंने कहा कि उनकी यह एकता सदियों से कायम है और हिमालय पर्वत की तरह अटूट है। अधिकांश आदिवासी सरना धर्म के अनुयायी और प्रकृति पूजक हैं, और वे वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को मानने वाले हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंडियों को भाईचारे को तोड़कर आपस में लड़ाने की साजिशें हो रही हैं, जो राज्य की एकता के लिए घातक है।
25 साल बाद भी नहीं बदली तस्वीर और तकदीर
झारखंड आंदोलन की पृष्ठभूमि को याद करते हुए बेसरा ने कहा कि पाँच दशक लंबे संघर्ष और व्यापक एकता के परिणामस्वरूप अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन असली मुद्दे आज भी अधर में हैं। उन्होंने नेतृत्व की कमी को इस आंदोलन के भटकने का कारण बताया। बेसरा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए निराशा जताई। उन्होंने कहा कि राज्य का गठन हुए 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस दौरान छह बार विधानसभा चुनाव हुए, तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ और 13 बार सरकार बदली। लेकिन न तो झारखंड की तस्वीर बदली और न ही झारखंडियों की तकदीर।” उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि झारखंडी अपनी एकता बनाए रखें और संविधान के रास्ते पर चलकर अपनी समस्याओं का हल खोजें।