Jamshedpur (Jharkhand) : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सारंडा वन क्षेत्र में खनन और संरक्षण की नीति को लेकर झारखंड सरकार पर भ्रम फैलाने और विरोधाभासी रुख अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है। राय ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार से सारंडा की वास्तविक स्थिति पर पारदर्शी नीति अपनाने और श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।
विधायक राय ने स्पष्ट किया कि सारंडा जैसे सघन वन क्षेत्र में साल के पेड़ों का महत्व स्टील से कम नहीं है, इसलिए पर्यावरण संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सारंडा में 1909 से ही लौह अयस्क का खनन हो रहा है, जिसके लिए वन विभाग ने तीन वर्किंग प्लान बनाए थे, लेकिन 1996 के बाद कोई नया वर्किंग प्लान तैयार नहीं किया गया। राय ने सरकार से पूछा कि आखिर इतने वर्षों से यह अनिवार्य प्लान क्यों नहीं बना?
अवैध खनन रिपोर्टों पर चुप्पी
सरयू राय ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि 2009 में सारंडा को ‘अभग्न क्षेत्र’ (Inviolate Area) घोषित करने के प्रस्ताव पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मधु कोड़ा सरकार के कार्यकाल में इतने माइनिंग लीज आवेदन आए थे कि उनका कुल क्षेत्रफल सारंडा के कुल क्षेत्र से भी अधिक था।
उन्होंने कहा कि जस्टिस एम.बी. शाह आयोग और वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट कमेटी जैसी भारत सरकार की विभिन्न समितियों ने सारंडा में अवैध खनन और पर्यावरणीय नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट दी है, लेकिन सरकार ने उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
सेल और नदियों का प्रदूषण
विधायक राय ने आरोप लगाया कि सारंडा में सर्वाधिक खनन सेल (SAIL) की ओर से किया गया है और उसने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए बताया कि भारी खनन के कारण कारो और कोयना जैसी महत्वपूर्ण नदियाँ प्रदूषित हो चुकी हैं।
सरयू राय ने मांग की है कि राज्य सरकार अपने विरोधाभासी रुख को छोड़कर जनता के सामने सारंडा के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन (श्वेत पत्र) रखे और स्पष्ट करे कि पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा तथा खनन गतिविधियों के संतुलन को ध्यान में रखते हुए सस्टेनेबल माइनिंग (Sustainable Mining) कैसे सुनिश्चित की जाएगी।
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