Jamshedpur (Jharkhand) : केंद्र और झारखंड सरकार की देरी का असर अब राज्य के ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के लाखों छात्रों पर भारी पड़ रहा है। कल्याण विभाग की ओर से उच्च शिक्षा के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति समय पर नहीं मिल पाने से छात्रों की पढ़ाई पर संकट गहराता जा रहा है।
आमतौर पर हर साल इस समय तक सत्र 2025-26 के लिए छात्रवृत्ति फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है। वहीं सत्र 2024-25 की छात्रवृत्ति भी अब तक मात्र 10% विद्यार्थियों तक ही पहुंची है। इससे स्पष्ट है कि अधिकांश छात्र पिछले दो वर्षों से आर्थिक सहायता से वंचित हैं, जिससे उनकी शिक्षा और भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
कॉलेजों में फीस भुगतान को लेकर छात्रों पर दबाव
छात्रवृत्ति में देरी का सबसे ज्यादा असर यूजी, पीजी, बीएड, लॉ, बीटेक और फार्मेसी जैसे कोर्स में पढ़ रहे छात्रों पर पड़ रहा है। कई छात्रों के लिए कॉलेज में दाखिला लेना मुश्किल हो गया है, जबकि दाखिला ले चुके छात्र फीस भुगतान में असमर्थ हैं।
कॉलेज प्रशासन की ओर से लगातार फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे छात्र तनाव में हैं। छात्रों ने सरकार से तत्काल छात्रवृत्ति भुगतान और प्रक्रिया को समयबद्ध बनाने की मांग की है।
एआईडीएसओ का प्रदर्शन और ज्ञापन
इस मामले को लेकर एआईडीएसओ (AIDSO) पूर्वी सिंहभूम जिला कमिटी के प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को जिला उपायुक्त के माध्यम से आदिवासी कल्याण मंत्री, झारखंड सरकार को ज्ञापन सौंपा। जिला सचिव शुभम कुमार झा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के आपसी विवाद का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 2-3 वर्षों से झारखंड की छात्रवृत्ति व्यवस्था चरमराई हुई है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “जहां एक ओर नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों के वेतन एवं सुविधाओं में 2 से 3 गुना वृद्धि हुई है, वहीं विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए 1 से 2 वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।”
छात्रों की प्रमुख मांगें
एआईडीएसओ ने ज्ञापन के माध्यम से निम्न मांगें रखी हैं —
सभी लंबित छात्रवृत्तियों का शीघ्र भुगतान किया जाए।
सत्र 2025-26 की छात्रवृत्ति प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए।
छात्रवृत्ति वितरण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जाए।