रांची : झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है कि सारंडा को वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी घोषित करने से पहले वन, वन्यजीव और आम नागरिकों के हितों का समान रूप से ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि केवल कागज पर सारंडा को वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी घोषित करने का कोई लाभ नहीं होगा।वित्त मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि सारंडा को वाइल्डलाइफ सेंचुरी घोषित करने से पहले संभावित आशंकाओं को दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में रहनेवाले लोगों की आजीविका नहीं छीनी जाएगी, उनमें यह विश्वास पैदा करना होगा।
राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की अनुमति के बगैर सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर करने से पहले मुख्य सचिव या कैबिनेट का अनुमोदन जरूरी होता है।
मंत्रियों की समिति का गठन
वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्थल निरीक्षण कर अध्ययन के लिए पांच मंत्रियों की समिति का गठन किया था। मंत्रियों का समूह सारंडा वन क्षैत्र के रोआम और अन्य गांवों में गया था, जहां ग्रामीणों ने अपनी आशंकाएं व्यक्त कीं।
आर्थिक प्रभाव
वित्त मंत्री ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र में लौह अयस्क का अकूत भंडार है। सैंक्चुरी घोषित किए जाने से झारखंड को लगभग 2500 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सारंडा वन का फैलाव लगभग 600 वर्ग किलोमीटर में है।
सुरक्षा के लिए मानव संसाधन
वित्त मंत्री ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मानव संसाधन विकसित करना होगा। पुलिस पिकेट की स्थापना करनी होगी। सारंडा वन प्रमंडल की सुरक्षा व संरक्षा के लिए 157 पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी 84 पद रिक्त हैं।
ओडिशा लॉबी की भूमिका
वित्त मंत्री ने कहा कि सारंडा को वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी घोषित कराने के पीछे ओडिशा की आयरन ओर लॉबी की भी प्रभावी भूमिका बतायी जा रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि ओडिशा की यह लॉबी चाहती है कि सारंडा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी घोषित हो जाए, ताकि ओडिशा में आयरन ओर उत्खनन का दायरा बढ़े।