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RANCHI DIWALI MELA: दिवाली मेला में दिखा सांस्कृतिक विविधता और महिला सशक्तिकरण का अद्भुत संगम

RANCHI NEWS: जसोवा दिवाली मेले में छऊ नृत्य, लोकगीत, नेत्रहीन कलाकारों की प्रस्तुति और नाबार्ड के स्टॉल ने झारखंड की सांस्कृतिक विविधता को समेटा।

by Vivek Sharma
JIASOWA MELA
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RANCHI: झारखंड की सांस्कृतिक समृद्धि और परंपरा के उत्सव जसोवा दिवाली मेला के दूसरे दिन भी भीड़ उमड़ी। रांची में आयोजित इस मेले ने न सिर्फ मनोरंजन का मंच प्रदान किया, बल्कि महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और स्थानीय कारीगरों को भी एक सशक्त मंच दिया। मेले में दीप्तशिखा और एकस्थ बैंड की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। बता दें कि ये बैंड सेंट माइकल स्कूल फॉर ब्लाइंड के नेत्रहीन स्टूडेंट्स द्वारा संचालित है। संगीत और नृत्य की इस प्रस्तुति ने बताया कि शारीरिक सीमाएं भी कला को नहीं रोक सकतीं।

महिषासुर मर्दिनी का मंचन

इसके बाद प्रभात कुमार महतो और उनकी टीम ने छऊ नृत्य के माध्यम से महिषासुर मर्दिनी का मंचन किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त इस कलाकार की प्रस्तुति ने मंच को जीवंत कर दिया। लोक कलाकार लखन गुड़िया ने पारंपरिक मुंडारी लोकगीतों और रंग-बिरंगी वेशभूषा के साथ प्रस्तुति देकर झारखंड की जनजातीय संस्कृति का परिचय कराया। राजकीय मूक बधिर एवं नेत्रहीन विद्यालय हरमू के बच्चों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही। पेंटिंग्स की कीमत 50 से 500 तक रखी गई है, जिससे इन विशेष बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है।

नाबार्ड के स्टॉल और स्थानीय उत्पाद

मेले में नाबार्ड द्वारा 100 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें होम डेकोर, अचार, पापड़ और दिवाली के दीये जैसी चीजें शामिल हैं। उत्पादों की कीमत 10 से 500 के बीच है, जिससे सभी वर्ग के लोग खरीदारी का आनंद ले रहे हैं। यहां पर विभिन्न सरकारी योजनाओं, बैंकिंग सेवाओं और सहायता कार्यक्रमों के स्टॉल भी लगे हैं।

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