Jamshedpur (Jharkhand) : सनातन संस्कृति की आत्मा उसकी समरसता और विविधता में निहित है। यह धर्म किसी भेदभाव को नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को सम्मान देने का संदेश देता है। आज आवश्यकता है कि समाज किन्नर समुदाय को केवल एक वर्ग के रूप में नहीं, बल्कि मानवता के अंग के रूप में स्वीकार करें। यह बात किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कही। वह शुक्रवार को जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में आयोजित किन्नर धर्म सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं।
शहर में हो अर्धनारीश्वर एवं मां भगवती के मंदिर की स्थापना
डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने सम्मेलन के दौरान यह इच्छा जताई कि जमशेदपुर में अर्धनारीश्वर एवं मां भगवती का भव्य मंदिर और किन्नर आश्रम की स्थापना हो। ताकि, पूरे देश में यहां से समानता, आध्यात्म और प्रेम का संदेश प्रसारित हो सके। इस धर्म सम्मेलन के आयोजन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य समाज में लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करना और सनातन धर्म के मूल भाव प्रेम, समानता और आध्यात्मिकता को लोगों तक पहुंचाना है।
बिष्टुपुर राम मंदिर में की पूजा-अर्चना, निकली भव्य शोभायात्रा
इससे पूर्व डॉ. त्रिपाठी ने यहां बिष्टुपुर स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना कर देश और राज्य में सुख-समृद्धि व शांति की कामना की। वहां से भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो बिष्टुपुर मेन रोड, गोलमुरी, साकची और अन्य प्रमुख मार्गों से होते हुए सभागार तक पहुंची। शोभायात्रा में पारंपरिक संगीत, झांकी और ध्वज यात्रा के साथ किन्नर समाज के सदस्य आकर्षण का केंद्र बने रहे। सम्मेलन स्थल पर महामंडलेश्वर के पहुंचते ही पूरा सभागार जयघोष से गूंज उठा।
शहर में पहली बार हुआ आयोजन, भजन-संध्या व सांस्कृतिक प्रस्तुतियां रहीं आकर्षण
शहर में यह पहला ऐतिहासिक अवसर था, जब किन्नर अखाड़ा के तत्वावधान में इस भव्य धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया। धर्म सम्मेलन के दौरान श्रद्धालुओं ने भजन-संध्या, आरती और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लिया। पूरे सभागार में आध्यात्मिक ऊर्जा और भावनात्मक एकता का अद्भुत वातावरण देखने को मिला। कार्यक्रम का संचालन अखाड़ा प्रतिनिधि मंजुला मां ने किया। सम्मेलन में देशभर से आए किन्नर समाज के प्रतिनिधि, प्रबुद्धजन एवं श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए।


