Home » मलमास में राजगीर की पावन धरती पर वास करते है 33 करोड़ देवी-देवता, स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा से कटते है पाप, जानिए एक महीने तक नहीं नजर आते है कौएं ? 18 जुलाई से शुरू होगा मलमास, पहली बार बन रही है राजगीर में टेंट सिटी

मलमास में राजगीर की पावन धरती पर वास करते है 33 करोड़ देवी-देवता, स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा से कटते है पाप, जानिए एक महीने तक नहीं नजर आते है कौएं ? 18 जुलाई से शुरू होगा मलमास, पहली बार बन रही है राजगीर में टेंट सिटी

by Rakesh Pandey
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राजगीर : प्राचीन मान्‍यता के अनुसार, हर 3 साल के अंतराल पर एक महीने तक चलने वाले इस मेले के दौरान 33 करोड़ देवी-देवता राजगीर की धरती पर ही वास करते हैं। यहां के बह्मकुंड परिसर के सप्‍तधारा कुंड में 33 करोड़ देवी-देवताओं के आह्वान होता है। मलमास मेला क्या है? क्या है इस मेले का महत्व ? कब से लग रहा है ? क्या क्या मान्यताएं और कहानियां है ?

18 जुलाई से लगेगा राजगीर में मलमास मेला
राजगीर में 18 जुलाई से मलमास मेला का आयोजन होगा। जिला प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। मेला में फ्री वाई-फाई की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों के िलए टेंट सिटी का निर्माण कराया जा रहा है। पहली बार पीपुल काउंटिंग मशीन(पीसीएम) से मेले में आने और स्नान करने वाले लोगो की गिनती की जाएगी। मेले में लोगो की सुविधा के लिए कंट्रोल रूम का निर्माण होगा।

वहीं इसके साथ ही 275 सीसीटीवी कैमरों से लोगो की सुरक्षा की निगरानी की जाएगी। अलग अलग चार जोन बनाकर दंडाधिकारियों और पुलिस बल की नियुक्ति होगी।

यज्ञ में नहीं बुलाए गए थे काग महाराज, इसलिए नजर नहीं आते कौएं
इस मेले की एक और खास बात यह है कि यहां एक महीने तक राजगीर के आसमान में कौए नजर नहीं आते हैं। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। इसमें बताया गया है कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा वसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में राजा वसु ने सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया था और वे सभी यहां पर पधारे भी थे, लेकिन काले काग (कौआ) को निमंत्रण देना राजा वसु भूल गए।

उसके बाद से मलमास मेले के दौरान राजगीर के आसपास काग महाराज कहीं दिखाई नहीं देते हैं। ब्रह्माजी ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण किया था। यहां भगवान विष्‍णुजी की शालिग्राम के रूप में पूजा की जाती है।

अधिकमास में स्नान -पूजा से कटते है पाप
राजगीर का महत्‍व इसलिए भी काफी बढ़ गया है, क्‍योंकि यहां कई धर्मपुरुषों और संत महात्‍माओं ने अपनी तपस्‍थली बनाई थी। मेले के पहले दिन यहां हर साल राजगीर के गर्म कुंड में संत डुबकी लगाते थे और भगवान विष्‍णु की पूजा करते थे। मगर इस साल कोरोना के चलते ऐसा कुछ नहीं हो पाया है। यहां स्‍नान को लेकर ऐसी मान्‍यता है कि अधिकमास के दौरान यहां जो स्‍नान करता है और विष्‍णुजी की पूजा करता है, उसके सभी पाप कट जाते हैं। वह स्‍वर्ग में अपना स्‍थान पक्‍का कर लेता है।

 

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