जमशेदपुर: सावन के दूसरी सोमवारी के बाद अधिकमास का महिना मंगलवार से शुरू हो गया है। मलमास को अधिकमास भी कहा जाता है। यह महिना भगवान विष्णु के अतिप्रिय है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मलमास (अधिकमास) में भक्तों को बहुत से ऐसे कार्य है जो वर्जित होते है।
भक्तों को इस मास में एक साथ भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु का भी पूजा करने का फल प्राप्त होगा। इस महीने को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मलमास हर तीन साल पर आता है। यानी की चौथा साल मलमास लगता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में सौर वर्ष 365 दिन 6 घंटे और 99 सेकेंड का होता है। वहीं साल में चंद्र वर्ष में 354 दिन और 8 घंटे के होते है।
अगर दोनों वर्ष मानो में अंतर किया जाए तो प्रति वर्षा 10 दिन 28 घंटे होते है। ऐसे में तीन वर्षों का मान का अंतर निकालने पर एक मास अतिरिक्त बढ़ जाता है। इसी प्रकार से हर तीन वर्ष के बाद मलमास पड़ता है। हर मलमास से अगले मलमास की पुनरावृति 28 माह से लेकर 36 माह तक होता है।
मलमास महीना भगवान विष्णु को पसंद है अति प्रिय:
शास्त्रों के अनुसार मलमास माह का कोई स्वामी नहीं होने के कारण देवता और मनुष्य स्वीकार नहीं किये। अपनी इस निंदा सुनकर मलमास को बहुत दुख पहुंचा और वह भगवान विष्णु के शरण में पहुंच गया और अपनी सारी व्यथा सुनाई। तब भगवान विष्णु उसे अपने साथ पृथ्वीलोक पर ले गए। वहां अधिकमास ने वहीं व्यथा फिर से सुनाई। इसके बाद कृष्ण ने वचन देते हुए कहा कि आज से वे अधिकमास का स्वामी है। साथ ही भगवान ने बताया था कि इस माह में पूजा पाठ करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। उन्होंने कहा इस माह को अब लोग पुरुषोत्तम माह से जानेंगे।
मलमास महीना में शुभ कार्य करना है वर्जित:
मलमास महीना को हिन्दू धर्म में अधिक महीना माना जाता है और इस महीने में कुछ शुभ कार्यों का निषेध किया जाता है। विवाह कार्य: मलमास में विवाह का आयोजन नहीं किया जाता है और लोग इस समय में विवाह समारोह या शुभ मुहूर्त का आयोजन नहीं करते है।
यह अवधि विवाह समारोहों के लिए शुभ नहीं मानी जाती है।
गृह प्रवेश: मलमास में नए घर में गृह प्रवेश का आयोजन भी नहीं किया जाता है। लोग इस समय में घर में नए समान लाने या घर का पुराना सामान बदलने से बचते हैं।
मुंडन, विदाई: मलमास में बालों का मुंडन (बालों का कटवाना) और विदाई आदि शुभ संस्कार भी नहीं किए जाते हैं। इन कार्यों का आयोजन मलमास में शुभ नहीं माना जाता है।
श्राद्ध: मलमास में पितृ पक्ष भी होता है, जिसमें आप अपने पूर्वजों की प्रतिष्ठा करते हैं। श्राद्ध का आयोजन भी मलमास में नहीं किया जाता है और इस समय में पितृ तर्पण नहीं किया जाता है।
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मलमास में विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का करें पाठ:
मलमास में विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। इस स्तोत्र में भगवान विष्णु का 1000 नामों का उल्लेख होता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष विधिवत पूजा कर सकते है। विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के साथ दिव्य नाम संकीर्तन भी लाभकारी होता है।