हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली : वैज्ञानिकों के बाद अब चिकित्सकों ने एक बड़ा कमाल किया है। देश में पहली बार क्रॉस ब्लड हार्ट की सफल सर्जरी हुई है। चिकित्सा जगत के लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। दरअसल, यह सर्जरी चेन्नई के चिकित्सकों ने की है, जिसे क्रॉस ब्लड सर्जरी कहा जाता है। यह सर्जरी ब्लड ग्रुप संबंधी बाधा को पार करते हुए की गई है। 18 माह की बच्ची की सफल सर्जरी से न सिर्फ चिकित्सा जगह बल्कि बच्ची के माता-पिता, परिवार सहित सभी लोगों में खुशी की लहर है। जहां एक ओर भारत ने चंद्रयान-3 पर सफल लैडिंग कर इतिहास रचा है। वही चिकित्सा जगत में भी भारत ने कई नए कीर्तिमान हासिल किये है।
बच्ची को कई बार हो चुका था कार्डियक अरेस्ट
18 महीने के इस बच्ची को कई बार कार्डियक अरेस्ट हो चुका था। बच्ची को इलाज के लिए बुल्गारिया (दक्षिण-पूर्व यूरोप में स्थित देश है) से एयरलिफ्ट कर चेन्नई लाया जा रहा था। इस दौरान भी रास्ते में बच्ची को कार्डियक अरेस्ट आया।
40 मिनट तक सीपीआर दिया गया
एयरलिफ्ट के दौरान बच्ची को कार्डियक अरेस्ट होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने 40 मिनट तक उसे सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दिया। इसके बाद चेन्नई में विमान उतरते ही उसे अस्पताल लाया गया, जहां एक बार फिर कार्डियक अरेस्ट आ गया। इसके बाद उसे आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू हुआ।
48 घंटे के बाद बच्ची को आया होश
इलाज शुरू होने के 48 घंटे बाद बच्ची को होश आया। इसी बीच सूचना मिली कि मुंबई स्थित बच्चों के वाडिया अस्पताल में तीन वर्षीय एक ब्रेन डेड डोनर मौजूद है। किसी भारतीय प्राप्तकर्ता के न मिलने पर राष्ट्रीय अंग व उत्तक प्रत्यारोपण संगठन ने बच्चे के अंग को आवंटित कर दिया।
चिकित्सकों ने एक और स्वीकारी चुनौती
बच्चे के अंग मिलने के बाद चिकित्सकों के सामने एक और बड़ी चुनौती आ खड़ी हो गई। दरअसल, बच्चे का ब्लड ग्रुप अलग था। इसके बावजूद भी चेन्नई के डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण की चुनौती स्वीकारी और यह सफल सर्जरी रही। इस प्रयोग के सफल होने के साथ-साथ ही इस बच्ची की जान बच गई।
सीपीआर का प्रशिक्षण जरूरी
भागदौड़ की जिंदगी में हार्ट संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ी है। ऐसे में इस दौरान उस मरीज को सीपीआर देकर जान बचाई जा सकती है। इसे देखते हुए अब पुलिस प्रशासन से लेकर स्कूलों में बच्चों को इसकी जानकारी दी जा रही है।
सीपीआर क्या है?
झारखंड के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष गुप्ता कहते हैं कि आज के समय में सीपीआर की जानकारी हर किसी को होनी चाहिए। इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। दरअसल, सीपीआर का फुल फार्म (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) है। अब आपके मन में सवाल आता होगा कि इसका जरूरत कब पड़ता है। डॉ. संतोष गुप्ता कहते हैं कि आपने देखा होगा कि चलते-चलते कई अचानक से गिर जाते हैं। इस दौरान उनका दिल या फिर सांस रुक जाती है। ऐसी अवस्था में तत्काल सीपीआर की जरूरत होती है। अगर, आपको सीपीआर देना आता है तो आप उस मरीज की जान बचा सकते हैं। डॉ. संतोष गुप्ता ने बताया कि सीपीआर इमरजेंसी मेडिकल टेक्निक है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की सांस या दिल रुक जाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है। सीपीआर में मरीज की छाती पर दबाव बनाया जाता है, जिससे ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।