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Aditya L-1 Launch: कल लांच होगा भारत का पहला सूर्य मिशन, जानिए क्यों खास है यह मिशन

by Rakesh Pandey
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बेंगलुरू: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सूर्य मिशन आदित्य-एल1 ( Aditya L-1 )लॉन्च करने के लिए तैयार है। इसके तहत शुक्रवार को आदित्य-एल1 के लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। जबकि शनिवार दो सितंबर को इसे लांच कर दिया जाएगा। इस बीच भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान के इस सूर्य मिशन नजरें गड़ाए हुए है। लोग इस मिशन की लॉन्चिंग को देखने के लिए काफी इंतजार कर रहे हैं।

 

Aditya L-1 दो सितंबर को लांच होगा:

अगर हम Aditya L-1 के लॉन्चिंग की बात करें तो इसकी उल्टी गिनती शुक्रवार को शुरू होगी। इसके बाद दो सितंबर को सुबह 11.50 बजे यह मिशन आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इसरो की ओर से Aditya L-1 की लॉन्चिंग दुनिया को दिखाने के लिए खास इंतजाम किए हैं। संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर आदित्य एल-1 के लॉन्च को श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से सीधा दर्शकों को दिखाने के लिए व्यू गैलरी की सीटें बुक करने का विकल्प दिया था। हालांकि, इसके लिए सीमित सीटें ही थीं, जो कि रजिस्ट्रेशन शुरू होने के बाद ही भर गईं। इतना ही नहीं इसरो की वेबसाइट isro.gov.in पर जाकर दर्शक आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग का सीधा प्रसारण देख सकते हैं और पल-पल के अपडेट्स हासिल कर सकते हैं। वहीं इसरो के वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर भी लॉन्च को लाइव स्ट्रीम करने की योजना है।

 

Aditya L-1 का उद्देश्य क्या है?

 

इस अंतरिक्ष यान को सूर्य की बाहरी परतों (कोरोना) का ऑब्जर्वेशन और सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु (L1) पर सौर वायु के यथास्थिति ऑब्जर्वेशन के लिए तैयार किया गया है। एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। यह सूर्य के ऑब्जर्वेशन के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।

 

Aditya L-1 से क्या फायदा होगा

इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी। हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई हम व रोचक जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं है।

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