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Avadh Ojha : शिक्षाविद अवध ओझा ने थामा AAP का दामन, केजरीवाल-सिसोदिया की मौजूदगी में किया ऐलान

यूपीएससी की तैयारी कराने के लिए मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा छात्रों के बीच "ओझा सर" के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने पार्टी ज्वॉइन करने के अपने निर्णय के बारे में कहा कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति से प्रभावित होकर उन्होंने यह फैसला किया है

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का पाला बदल और नए लोगों का पार्टी ज्वाइन करने का सिलसिला जारीह । अब शिक्षाविद और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा (Avadh Ojha) ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल होने का ऐलान किया है। उन्होंने पार्टी संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ आप नेता मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में आधिकारिक तौर पर AAP का हिस्सा बनने की घोषणा की। इस अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओझा ने अपनी राजनीति में प्रवेश की वजह और आगामी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।

शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए AAP से जुड़े अवध ओझा

अवध ओझा, जो यूपीएससी की तैयारी कराने के लिए मशहूर हैं और छात्रों के बीच “ओझा सर” के नाम से जाने जाते हैं, ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में सुधार करना है। उन्होंने पार्टी ज्वॉइन करने के अपने निर्णय के बारे में कहा कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति से प्रभावित होकर, मैंने फैसला किया है कि अब मुझे राजनीति में आकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहिए। मुझे खुशी है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने मुझे इस दिशा में काम करने का मौका दिया।

अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में किया स्वागत

अरविंद केजरीवाल ने भी अवध ओझा का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा, अवध ओझा जी, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक महान नाम हैं, आज हमारे परिवार का हिस्सा बन रहे हैं। वह दिल्ली में शिक्षा क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए हमारे प्रयासों का हिस्सा होंगे। उनका जुड़ाव हम सभी के लिए एक प्रेरणा है और हमें विश्वास है कि उनका योगदान दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र को और बेहतर बनाएगा।”

अवध ओझा का शिक्षाविद से राजनीतिक सफर

अवध ओझा का जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गोंडा से ही प्राप्त की और फिर दिल्ली में UPSC के लिए मार्गदर्शन देने के लिए अपनी पहचान बनाई। वह यूपीएससी के छात्रों के बीच एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी मोटिवेशनल स्पीच और UPSC की तैयारी के लिए उनके मार्गदर्शन को लाखों छात्रों ने सराहा है। “ओझा सर” के नाम से वह खासे लोकप्रिय हैं।

केजरीवाल व सिसोदिया ने किया था पार्टी में आमंत्रित

उनकी शिक्षा क्षेत्र में निस्वार्थ सेवा और बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए किए गए प्रयासों को देखते हुए, अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने उन्हें आम आदमी पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया। इस जुड़ाव के बाद अवध ओझा ने राजनीति में अपने सफर की शुरुआत की है और उनका मुख्य फोकस शिक्षा क्षेत्र के सुधार पर होगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव और AAP का रणनीतिक निर्णय

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, और आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। AAP ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इस घोषणा से यह भी साफ हो गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। यह त्रिकोणीय मुकाबल AAP, बीजेपी और कांग्रेस की पार्टी में होने की संभावना है।

विधानसभा चुनाव को लेकर आप ने तेज की तैयारियां

इससे पहले शनिवार को दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने यह घोषणा की थी कि कांग्रेस भी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इस बीच आम आदमी पार्टी ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है और पहले ही 11 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। इनमें से 6 ऐसे उम्मीदवार हैं जो हाल ही में कांग्रेस या बीजेपी छोड़कर AAP में शामिल हुए हैं। अरविंद केजरीवाल ने इन नेताओं को पार्टी में शामिल किया और उनके लिए टिकट भी जारी किया।

AAP का राष्ट्रीय गठबंधन और दिल्ली का निर्णय

हालांकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन से मना कर दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर “INDIA” गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी। इसका मतलब है कि AAP अन्य राज्यों में गठबंधन की राजनीति करती रहेगी, लेकिन दिल्ली में वह अकेले ही चुनाव लड़ेगी। यह कदम AAP के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दिल्ली में वह पिछले कई वर्षों से एक मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी है।

दिल्ली की राजनीति में मची है हलचल

अवध ओझा का AAP में शामिल होना और उनका शिक्षा क्षेत्र के सुधार के प्रति समर्पण एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी उपस्थिति से पार्टी को दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में और भी मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP का अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय राजनीतिक जगत में हलचल मचा सकता है। जहां एक ओर AAP ने गठबंधन से परहेज किया है, वहीं दूसरी ओर यह स्थिति दिलचस्प होगी कि पार्टी इस चुनाव में कितनी सफलता प्राप्त करती है, खासकर जब विरोधी दल भी अपनी पूरी ताकत लगाकर चुनाव मैदान में हैं।

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