सेंट्रल डेस्क : भारत के प्रमुख कारोबारी गौतम अडानी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन पर आरोप हैं कि अडानी समूह ने भारत में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल करने के लिए अधिकारियों को भारी रिश्वत दी। अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने यह मामला उठाया है, जिसमें अडानी समूह और उनकी सहयोगी कंपनियों पर रिश्वतखोरी और निवेशकों से जानकारी छिपाने का आरोप लगाया गया है। इस आरोप में अडानी ग्रुप के कई प्रमुख किरदारों का नाम सामने आया है, जिसमें गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी भी शामिल हैं।
सोलर एनर्जी के बड़े ठेके में घोटाला
अडानी समूह और एज्यूर पावर (Azure Power) ने भारतीय सरकारी एजेंसी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से 12 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने का बड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था, लेकिन इस परियोजना में एक बड़ी समस्या थी। SECI को यह सुनिश्चित करना था कि राज्य सरकारें और उनके बिजली वितरण निगम (DISCOMs) ऊर्जा खरीदने के लिए सहमत हों। जब कई राज्य सरकारों ने SECI द्वारा तय की गई कीमतों को अस्वीकार कर दिया और बाजार दरों से ज्यादा होने का विरोध किया, तो अडानी समूह और एज्यूर पावर (Azure Power) के अधिकारियों ने एक विवादास्पद कदम उठाया।
रिश्वत का ऑफर और भ्रष्टाचार की शुरुआत
SEC ने आरोप लगाया कि अडानी समूह के प्रमुख, गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी, ताकि वे DISCOMs के अधिकारियों को प्रभावित कर सकें और उन पर सौर ऊर्जा खरीदने के लिए दबाव बना सकें। SEC के अनुसार, 2020 तक अडानी ग्रीन एनर्जी के अधिकारियों ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के अधिकारियों को रिश्वत दी थी। ओडिशा को 500 मेगावाट ऊर्जा खरीदने के लिए लाखों डॉलर की रिश्वत ऑफर की गई, जबकि आंध्र प्रदेश को 7,000 मेगावाट ऊर्जा खरीदने के लिए 200 मिलियन डॉलर का घूस देने का प्रयास किया गया था।
SEC ने आरोप लगाया है कि अडानी और उनके सहयोगी इन रिश्वतों के मामले में सीधे तौर पर शामिल थे। उनके खिलाफ लगे इन आरोपों में यह भी कहा गया है कि अडानी ग्रीन एनर्जी ने अमेरिकी निवेशकों से 750 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया और इस रकम का दावा किया था कि उनकी कंपनी पूरी तरह से भ्रष्टाचार से मुक्त है। लेकिन जब SEC ने इस मामले की जांच की तो पता चला कि यह दावा झूठा था और कंपनी ने इस घोटाले को छिपाया था।
चार्जशीट में आरोपों की पूरी जानकारी
अडानी ग्रीन और Azure Power ने भारत सरकार के एक महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए भारी निवेश किया। 2014 में भारत सरकार ने 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा था, जिसमें से 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से प्राप्त होने की योजना थी। इसके तहत SECI ने कंपनियों से 12 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने का करार किया। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत, अडानी ग्रीन ने 2 गीगावाट निर्माण क्षमता और 8 गीगावाट ऊर्जा सप्लाई का वादा किया था, जबकि Azure Power ने 1 गीगावाट निर्माण क्षमता और 4 गीगावाट ऊर्जा सप्लाई का वादा किया था।
हालांकि, SECI ने यह स्पष्ट किया था कि ऊर्जा खरीदने की गारंटी नहीं दी जा सकती और इसके लिए राज्य सरकारों की सहमति जरूरी थी। जब SECI ने विभिन्न राज्यों से समझौते करने की कोशिश की, तो कई राज्य सरकारों ने ऊर्जा खरीदने की शर्तों को खारिज कर दिया, क्योंकि ऊर्जा की कीमतें बाजार दर से ज्यादा थीं। इसके बाद अडानी ग्रीन और एज्यूर पावर (Azure Power) ने अपने भ्रष्टाचार की योजना को अंजाम दिया और अधिकारियों को रिश्वत देने की प्रक्रिया शुरू की।
अमेरिकी कोर्ट में मामला
यह पूरा मामला अमेरिकी कोर्ट में पहुंचने के बाद खुलासा हुआ है। SEC ने आरोप लगाया कि अडानी समूह ने अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया और उनकी कंपनी की भ्रष्टाचार से संबंधित सच्चाई को छिपाया। यह आरोप भारतीय कंपनियों और उनके अमेरिकी सहयोगियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि यह न केवल उन्हें वित्तीय नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि उनके प्रतिष्ठान को भी धक्का पहुंचा सकता है।
अडानी समूह के लिए यह एक गंभीर संकट का समय है और आने वाले दिनों में इस मामले की जांच और भी गहराई से की जाएगी। इस आरोप में दोषी पाए जाने पर अडानी समूह को भारी दंड का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला न केवल व्यापारिक दृष्टि से बल्कि कानूनी रूप से भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार और निवेशकों के अधिकारों की रक्षा के सवाल को सामने लाता है।
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