धर्म डेस्क/अधिकमास अमावस्या तिथि का है बहुत महत्व : सावन अधिकमास की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। अमावस्या तिथि प्रत्येक महीने में एक बार आती है। लेकिन अधिकमास में आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है। पुण्य की दृष्टि से अधिक मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने की दृष्टि से अत्यंत ही अच्छा माना गया है।
मान्यतानुसार अमावस्या के दिन पूर्वज आते है धरती पर
ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज अमावस्या तिथि को धरती पर आते हैं और परिजनों से उन्हें तर्पण कर उनसे आशीर्वाद लेते है। पितरों के तर्पण के लिए परिजन अमावस्या के दिन स्नान कर अपने पितरों को जल तर्पण करते है। इसके बाद पुरोहित को दान और भोजन कराते है। ऐसा करने से उनके पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है। मान्यतानुसार ऐसा करने से परिवार के सारे दुख दूर हो जाते है।
इस साल अधिकमास की अमावस्या तिथि 15 – 16 अगस्त
इस साल सावन अधिकमास अमावस्या की शुरुआत 15 अगस्त सोमवार 12:42 बजे दिन से 16 अगस्त दोपहर 3:07 बजे तक रहेगा। अगर देखा जाए तो दोनों ही दिन अमावस्या पड़ेगी, लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार उदय तिथि का ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए अधिकांश लोग 16 अगस्त मंगलवार को अमावस्या तिथि मनायेंगे।
इस साल अधिकमास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि बेहद खास है। क्योंकि इस बार अधिकमास में पड़ने वाली अमावस्या 3 साल के बाद पड़ेगी।
पितृ दोष से मिलती है मुक्ति
अधिक मास अमावस्या के दिन विशेष संयोग बनता है। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत ही अच्छा दिन माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अधिकमास अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। परिवार के हर कष्ट दूर हो जाता है।
पंचम मंगला गौरी की होती है पूजा
इस बार सावन अधिकमास 16 अगस्त मंगलवार को पड़ रहा है। संयोग से उसी दिन पंचम मंगला गौरी की पूजा होगी। पंचम मंगला गौरी की पूजा करना अत्यंत ही शुभकारी होता है। पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते है।
नहीं किया जाता कोई शुभ कार्य
अधिकमास की अमावस्या को कोई शुभ कार्य नहीं होता है। अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में पड़ता है। जिसके चलते चंद्रमा कमजोर होता है। इस दिन गरीबों के दान, भोजन कराना अत्यंत ही लाभकारी होता है।
पीपल के पेड़ के नीचे जलांए दीप
इस दिन स्नान दान पूजा पाठ तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है। पितृ दोष को दूर करने के लिए सावन अधिक मास की अमावस्या तिथि के दिन पीपल पेड़ के नीचे दीप जलाकर
7 बार पीपल पेड़ की परिक्रमा करना लाभकारी होता है। पीपल के साथ शमी और तुलसी की पूजा करने से पितृ दोष कटता है। वहीं पितरों के आत्मा को शांति मिलती है।
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