सेंट्रल डेस्क : अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने एक और कठोर आदेश जारी किया है, जिसमें अब उन इमारतों में खिड़कियां बनाने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जहां महिलाएं रहती हैं या जहां से उनका दिखना संभव हो। तालिबान के सर्वोच्च नेता ने यह आदेश दिया है कि महिलाएं जहां भी रहें, वहां से बाहर दिखने की संभावना को पूरी तरह से खत्म किया जाए। इस कदम को तालिबान ने ‘अश्लील कृत्यों’ को रोकने के प्रयास के रूप में पेश किया है।
महिलाएं न बाहर देख सकें और न ही कोई उन्हें देख सके!
तालिबान के इस नए फरमान के तहत, अब इमारतों में खिड़कियों को बनाने से मना किया जाएगा, जिनसे महिलाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रों को देखा जा सकता हो। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महिलाएं न तो बाहर देख सकें और न ही कोई उन्हें देख सके। इसके अलावा, जहां कहीं भी महिलाओं के उपयोग वाले क्षेत्रों में खिड़कियां हैं, उन्हें बंद करने का आदेश भी दिया गया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने बयान में कहा कि नई इमारतों में ऐसी कोई खिड़की नहीं होनी चाहिए, जिससे आंगन, रसोई या पड़ोसियों के घरों के अंदरूनी हिस्से दिखाई दें। इस आदेश के बाद, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महिलाएं न तो बाहर देख सकें और न ही उनकी गतिविधियों को बाहर से देखा जा सके।
पड़ोसियों से संपर्क भी अब मुश्किल
तालिबान ने इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि निर्माण स्थलों पर नगर निगम अधिकारियों को इस बात की निगरानी करनी होगी कि इमारतों के भीतर से बाहर देखने की कोई भी व्यवस्था न हो। इसके तहत, यदि किसी घर से पड़ोस के घर के अंदर का हिस्सा दिखाई देता है, तो वहां दीवार बनाई जाएगी ताकि पड़ोसियों के घरों में देखना संभव न हो सके। इस तरह से तालिबान यह सुनिश्चित करना चाहता है कि महिलाएं अपनी चारदीवारी में पूरी तरह से कैद रहें और उनके आसपास कोई बाहरी संपर्क न हो।
महिलाओं की सार्वजनिक मौजूदगी पर पाबंदी
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। अगस्त 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया, तब से महिलाएं सार्वजनिक जीवन से लगभग गायब हो चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने तालिबान के इस लिंग भेदक शासन की कड़ी निंदा की है। महिलाओं को अब न तो शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति है, न ही वे सार्वजनिक स्थानों पर जा सकती हैं। उन्हें हमेशा अपने शरीर को पूरी तरह से ढंककर रखना होता है।
इसके अलावा महिलाओं की आवाज को भी दमन का सामना करना पड़ा है। अफगानिस्तान में कई स्थानीय रेडियो और टीवी स्टेशनों ने महिला आवाजों का प्रसारण बंद कर दिया है। महिला पत्रकारों और कलाकारों को भी अपने काम करने के लिए कई तरह की पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा है और वे अब न गा सकती हैं, न कविता पढ़ सकती हैं।
इस्लामी कानून अधिकारों की ‘गारंटी’ देता है!
तालिबान शासन का दावा है कि वे अफगानिस्तान में इस्लामी कानून को लागू कर रहे हैं, जो पुरुषों और महिलाओं के अधिकारों की ‘गारंटी’ देता है। हालांकि, असलियत में यह गारंटी महिलाओं के लिए अत्यधिक कड़ी पाबंदियों के रूप में सामने आई है, जिनका मकसद महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करना है।
अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों की यह स्थिति पूरी दुनिया में चिंता का कारण बन गई है। तालिबान के द्वारा महिलाओं के लिए किए गए इन अत्याचारों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से लगातार आवाजें उठ रही हैं, लेकिन अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पाया है।
तालिबान के नए फरमान के बाद अफगानिस्तान में महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके मौलिक अधिकारों की स्थिति और भी ज्यादा दयनीय हो गई है। महिलाएं न केवल सार्वजनिक जीवन से बाहर हो चुकी हैं, बल्कि अब उनके निजी जीवन में भी दखल दिया जा रहा है, जिसमें उनके घरों के भीतर से बाहर देखे जाने तक को नियंत्रित किया जा रहा है। यह फरमान इस बात का प्रमाण है कि तालिबान शासन में महिलाओं की स्थिति लगातार बिगड़ रही है और उनका समाज में कोई स्थान नहीं बचा है।


