नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि आगामी बिहार चुनाव में नीतीश कुमार ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का नेतृत्व करेंगे। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा का चुनावी समीकरण मजबूत रहे और वे गठबंधन को छोड़ने की स्थिति में न आएं।
बिहार चुनाव की सरगर्मियों के बीच नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की अटकलें लग रही थीं। राजद (राष्ट्रीय जनता दल) द्वारा नीतीश कुमार पर लगातार बयानबाजी और उनकी चुप्पी ने कुछ समय तक भ्रम की स्थिति पैदा की। हालांकि, भाजपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी ने इस भ्रम को दूर करने के लिए नीतीश कुमार के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा है।
नीतीश कुमार का गठबंधन बदलने का इतिहास
नीतीश कुमार का राजनीतिक इतिहास गठबंधन बदलने के मामले में काफी चर्चित रहा है। 2013 में जब उन्होंने भाजपा से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ा, तब उनके निर्णय ने बिहार राजनीति को एक नया मोड़ दिया था। इसके बाद, उन्होंने 2015 में राजद के साथ गठबंधन किया और 2017 में फिर भाजपा के साथ वापस आ गए। 2020 के चुनाव में भी भाजपा और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन 2022 में फिर से नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़ा और राजद के साथ गठबंधन किया। जनवरी 2024 में उन्होंने फिर से भाजपा से हाथ मिलाया और सरकार बनाई। इस तरह के बार-बार गठबंधन बदलने के कारण भाजपा ने इस बार पूरी तरह से नीतीश कुमार को गठबंधन का चेहरा बनाने का फैसला लिया।
भाजपा और जेडीयू के बीच सीटों का तालमेल
भाजपा और जेडीयू के बीच विधानसभा चुनाव में सीटों का तालमेल महत्वपूर्ण रहेगा। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा आलाकमान ने नीतीश कुमार के साथ बातचीत शुरू कर दी है और दोनों दलों के बीच सीटों के वितरण और जातीय समीकरण पर विचार किया जा रहा है। भाजपा ने अपनी रणनीति में दिल्ली विधानसभा चुनाव की तर्ज पर उन उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की योजना बनाई है जो जीतने की क्षमता रखते हों। भाजपा का फोकस ऐसे उम्मीदवारों पर होगा, जिनके पास मजबूत जनाधार हो और जो चुनाव में पार्टी को फायदा पहुंचा सकें।
प्रचार रणनीति और भाजपा का समर्थन
वर्तमान में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य में गठबंधन सरकार चल रही है। हालांकि, सरकार को लेकर कुछ एंटी-इन्कंबेंसी भी है, जो भाजपा को अपने प्रचार में केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों को प्रमुखता देने की अनुमति देती है। राज्य की केंद्र सरकार की योजनाओं और प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को भी राज्य के विकास के साथ जोड़कर पेश किया जाएगा।
भाजपा और जेडीयू के प्रचार मुद्दों में तालमेल की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि दोनों दलों के बीच कोई भ्रम न हो और चुनावी अभियान सफल हो। फिलहाल दोनों पार्टियों के आला नेताओं के बीच इन मुद्दों पर बातचीत चल रही है और एक रणनीति बनाने की कोशिश की जा रही है।
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