आगरा: तमाम क्षेत्र में तरक्की के बावजूद बेटे-बेटी को लेकर हमारे समाज की सोच में शायद उतना बदलाव नहीं आया है, जितना आना चाहिए। उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक महिला को बेटा पैदा होने की चाहत इतनी अधिक थी कि इसके लिए उसने अपने पति को छोड़ दिया। इस बात को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों को परिवार परामर्श केंद्र बुलाया गया और अब इस पर काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस अनोखे मामले ने क्षेत्र में हलचल मचा दी है और लोग इसे लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं।
बेटी पैदा होने पर पति को ठहराया जिम्मेदार, उठाया बड़ा कदम
घटना का आरंभ तब हुआ जब एक महिला गर्भवती थी और वह चाहती थी कि इस बार उसे बेटा हो। लेकिन उसकी इच्छा के विपरीत, उसे फिर से बेटी हुई। बेटी पैदा होने के बाद महिला इतनी नाराज हो गई कि उसने अपने पति को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। यह विवाद बढ़ता चला गया और परिणामस्वरूप महिला ने अपने पति को छोड़कर मायके जाने का फैसला किया।
पति-पत्नी के बीच पहले से था विवाद
इससे पहले भी पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद होते रहे थे, लेकिन इस बार मामले ने इतना तूल पकड़ा कि इसे परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंचना पड़ा। परिवार परामर्श केंद्र में पति-पत्नी दोनों को बुलाया गया और काउंसलिंग शुरू हुई। दरअसल, यह दंपत्ति 2022 में शादी के बंधन में बंधे थे और पहले से उनकी एक बेटी थी। महिला को इस बार उम्मीद थी कि वह बेटे की मां बनेगी, लेकिन जब दूसरी बार भी बेटी पैदा हुई, तो वह बहुत आहत हुईं और पति को दोषी ठहराते हुए मायके चली गईं।
परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलिंग का दौर
परिवार परामर्श केंद्र में इस अजीबोगरीब मामले की काउंसलिंग की गई, जहां महिला ने साफ तौर पर कहा कि वह चाहती थी कि इस बार बेटा हो, लेकिन बेटी के जन्म ने उसे मानसिक रूप से परेशान कर दिया। काउंसलर ने महिला को समझाया कि बेटा या बेटी पैदा होने के लिए केवल महिला या पुरुष जिम्मेदार नहीं होते हैं, बल्कि यह प्रकृति का खेल है। इसके बाद पुलिस अधिकारियों और काउंसलर ने भी महिला को समझाया कि इस तरह के विचार परिवार के सुख-शांति के लिए सही नहीं होते।
काफी समझाने पर समाप्त हुआ झगड़ा
काफी समझाने के बाद महिला मान गई और उसने पति से झगड़े को समाप्त करने का फैसला किया। परिवार परामर्श केंद्र में दोनों के बीच समझौता हुआ और पति-पत्नी फिर से एकजुट हो गए। काउंसलिंग के बाद दोनों ने वादा किया कि अब वे इस मुद्दे पर कोई और विवाद नहीं करेंगे और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए मिलकर काम करेंगे।
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कई बार परिवार में छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद बढ़ सकते हैं, लेकिन अगर सही समय पर समझाइश दी जाए, तो इन विवादों का हल निकाला जा सकता है।
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