अजमेर : Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर की एक अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में कहा गया है कि अजमेर में सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की जगह पर एक शिव मंदिर है। सितंबर में दायर की गई इस याचिका में अदालत से वहां दोबारा पूजा करने की अनुमति मांगी गई है।
याचिकाकर्ता के वकील योगेश सिरोजा ने कहा कि सिविल जज मनमोहन चंदेल ने अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्त्व् सर्वेक्षण (दिल्ली) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि देश भर के प्रमुख मंदिरों समेत वाराणसी, मथुरा और धार के भोजशाला में किए गए दावों के बाद यह नोटिस जारी किए गए हैं।
दरगाह का रजिस्ट्रेशन रद्द करें
उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के बाद आए इस आदेश में याचिकाकर्ता का कहना है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। दक्षिणपंथी हिंदू सेना समूह के प्रमुख विष्णु गुप्ता (अजमेर शरीफ मामले में याचिकाकर्ता) की मांग है कि अजमेर शरीफ दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि यदि दरगाह का किसी भी प्रकार का रजिस्ट्रेशन है, तो उसे रद्द किया जाना चाहिए।
याचिका में दावा किया गया है कि मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान की हत्या के बाद संकट मोचन महादेव मंदिर सहित कई मंदिरों को नष्ट कर दिया था। हिंदू सेना ने किताबों और कथित ‘साक्ष्यों’ का हवाला देते हुए दावा किया कि अजमेर दरगाह के मुख्य प्रवेशद्वार की छत का डिजाइन हिंदू संरचना जैसा दिखता है और ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि इस जगह पर शिव मंदिर था।
किताब में किया गया दावा
भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से इसका सर्वेक्षण कर, हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया जाना चाहिए। दायर याचिका में 1991 में लिखी गई एक किताब का हवाला दिया गया है। सेवानिवृत न्यायाधीश हरविलास शारदा की एक किताब ‘अजमेर : हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव’ में कहा गया है कि बुलंद दरवाजे सहित अजमेर दरगाह के आसपास हिंदू नक्काशी और प्रतिमाएं दिखाई देती हैं।
गर्भगृह में है एक जैन मंदिर
आगे कहा गया है कि दरगाह के मलबे का प्रयोग कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि गर्भगृह के भीतर एक जैन मंदिर भी मौजूद है। दरगाह कमेटी ने इन सभी दावों का खंडन किया है। अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि दरगाह एकता और बहुलवाद को बढ़ावा देती है। अजमेर शरीफ के अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया सहित पूरी दुनिया में लाखों अनुयायी हैं।
अजमेर शरीफ कमेटी का बयान
आगे सैयद सरवर ने कहा कि इस प्रकार के कृत्य सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्र के विरूद्ध हैं। कोर्ट ने आज तीन पक्षों को नोटिस दिया है। आगे हम देखते हैं कि हम क्या कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।