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Tribute To DR. Manmohan Singh : मनमोहन सिंह की जिंदगी में 26 का अद्भुत संयोग : जन्म से लेकर मृत्यु तक न साथ छोड़ा

by Rakesh Pandey
Tribute To DR. Manmohan Singh
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सेंट्रल डेस्क : पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था के ‘भीष्म पितामह’ माने जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह की जिंदगी में कई दिलचस्प किस्से हैं। उनकी जीवन यात्रा न केवल उनके शानदार कॅरियर के लिए याद की जाती है, बल्कि उनके जीवन में एक अद्भुत संयोग भी है, जो जन्‍म से लेकर मृत्यु तक उनके साथ रहा। यह संयोग है 26 का अंक। यह संयोग इतना खास था कि मनमोहन सिंह का जन्म भी 26 तारीख को हुआ और उनकी मृत्यु भी इसी दिन हुई। आइए जानते हैं इस संयोग और उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

मनमोहन सिंह का जन्म और उनके गांव की कहानी

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। यह गांव अब पाकिस्तान के कब्जे में है, लेकिन उनकी जड़ें यहीं से जुड़ी हुई थीं। विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर शिफ्ट हो गया और यहीं से उनके जीवन की नई शुरुआत हुई। यही वो समय था, जब मनमोहन सिंह ने अपनी पढ़ाई शुरू की और आगे बढ़ने के लिए संघर्ष किया।

गाह गांव जहां मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था, अब एक आदर्श गांव के रूप में विकसित हो चुका है। आज भी इस गांव में एक स्कूल है, जिसका नाम ‘मनमोहन सिंह गवर्नमेंट ब्वायज स्कूल’ है। यह स्कूल उस गांव में स्थित है जहां डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी। गांव के लोग मनमोहन सिंह की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं और उनका नाम आज भी यहां की साख बढ़ाता है। इस गांव में जीवन की कड़ी चुनौतियों और संघर्ष को पार करते हुए उन्होंने सफलता की ऊंचाइयों को छुआ, जिसे लेकर गांववाले उनका हमेशा आभार व्यक्त करते हैं।

अर्थव्यवस्था के सुधारक : एक संघर्षपूर्ण शुरुआत

मनमोहन सिंह का जीवन केवल उनकी शैक्षिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं रहा। गाह से अमृतसर आने के बाद उनकी शिक्षा का सफर और भी कठिन था। पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद मनमोहन सिंह ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। हालांकि इस यात्रा में एक बड़ी रुकावट थी – पैसे की कमी। मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में इस संघर्ष के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने बताया कि किस तरह से मनमोहन सिंह को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, फिर भी उन्होंने कभी ईमानदारी और मेहनत से समझौता नहीं किया। यही उनकी स्थिरता और दृढ़ता थी, जिसने उन्हें सफलता के मार्ग पर अग्रसर किया।

देश के लिए योगदान

मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए कई अहम योगदान दिए। 1991 में भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वे पहले भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बने, फिर वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया और बाद में 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहे। उनके नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त तरक्की की और भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया।

मनमोहन सिंह के जीवन में संघर्ष और सफलता की यह कहानी उनकी ईमानदारी, कड़ी मेहनत और निरंतरता की मिसाल प्रस्तुत करती है। उन्होंने अपने जीवन में कई आर्थिक संकटों का सामना किया, लेकिन उनका सपना और देश के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें कभी नहीं टूटने दिया। उनके लिए 26 का अंक न केवल एक संयोग था, बल्कि यह उनके जीवन की कड़ी मेहनत और उद्देश्य की ओर इशारा करता है।

मनमोहन सिंह की जिंदगी एक प्रेरणास्रोत है, जो यह दर्शाती है कि कठिनाई के बावजूद अगर मेहनत और ईमानदारी से काम किया जाए तो किसी भी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। उनका जीवन यह साबित करता है कि किस तरह एक छोटे से गांव से शुरू होकर, कड़ी मेहनत और परिश्रम के साथ दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। 26 का अंक उनकी जिंदगी में सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक प्रतीक है, जो उनकी जीवन यात्रा के अनूठे पहलुओं को दर्शाता है। वे पहले भारतीय थे, जो लगातार दूसरी बार पीएम बने।

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