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अंबेडकर जयंती 2025: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम शिंदे और पवार को नहीं मिला भाषण का अवसर, समय की कमी का हवाला

कार्यक्रम के बाद उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्थिति को लेकर स्पष्ट किया कि वह भाषण न दे पाने से नाराज नहीं थे।

by Reeta Rai Sagar
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मुंबई : भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर मुंबई स्थित चैत्यभूमि पर आयोजित सरकारी कार्यक्रम में एक अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार को समय की कमी के कारण भाषण देने का अवसर नहीं दिया गया, जिससे दोनों नेता कार्यक्रम के बाद बिना मीडिया से बात किए निकल गए।

अंबेडकर जयंती समारोह में शामिल हुए प्रमुख नेता

राज्य सरकार द्वारा जारी निमंत्रण पत्र के अनुसार, इस विशेष कार्यक्रम में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार को संबोधन करना था।
कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने भाषण दिए, लेकिन समय की कमी के चलते शिंदे और पवार को बोलने का अवसर नहीं मिला।

शिंदे का स्पष्टीकरण : ‘बोलने से महत्वपूर्ण था बाबा साहब का दर्शन’

कार्यक्रम के बाद उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्थिति को लेकर स्पष्ट किया कि वह भाषण न दे पाने से नाराज नहीं थे। उन्होंने कहा, बाबासाहब का चैत्यभूमि पर दर्शन करना भाषण से अधिक महत्वपूर्ण था। हम उनके सिद्धांतों का पालन कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। शिंदे ने आगे कहा, डॉ. अंबेडकर के संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं। यदि हम उनके किसी एक सिद्धांत को भी अपने जीवन में उतार लें, तो यह उनके लिए सच्चा सम्मान होगा।

अजित पवार ने समयाभाव का दिया हवाला

दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उन्होंने खुद ही भाषण नहीं देने का निर्णय लिया, क्योंकि सीमित समय में सभी नेताओं का भाषण संभव नहीं था। यह पहली बार नहीं है जब अजित पवार को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के रायगढ़ किले दौरे के समय भी उन्हें भाषण देने का मौका नहीं मिला था।

महायुति में दरार की अटकलों पर शिंदे की प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम से एक दिन पहले, उपमुख्यमंत्री शिंदे ने महायुति में किसी भी प्रकार के मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि, यदि कोई मुद्दा होता है तो उसे आपसी चर्चा से सुलझा लिया जाएगा।

डॉ. अंबेडकर जयंती जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर इस प्रकार का घटनाक्रम राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बन गया है। हालांकि नेताओं ने सार्वजनिक रूप से किसी भी असंतोष को नकारा है, लेकिन यह स्थिति महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर ध्यान आकर्षित कर रही है।

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